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ग़ज़ल - शिवाजी भी यहीं के हैं, नहीं क्यों याद आता है

बहरे हज़ज़ मुसम्मन सालिम
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन
1222 1222 1222 1222

..............................................................

हुआ पैदा जो अंधा वो खड़ा राहें दिखाता है।
फटी आवाजवाला रोज अब गाने सुनाता है।

सभी कहते अरे भाई, हमारा देश गाँधी का,
शिवाजी भी यहीं के हैं, नहीं क्यों याद आता है।

भरा होता तपा लोहा जहाँ के नौजवानों में,
शहर वो ही भला कैसे ठगा सा दीख जाता है।

जरा सी बात क्या कर दी वतन की लाज की खातिर,
जमाना कोसता मुझको, बड़ा जालिम बताता है।

मुझे तो प्यार है मेरे उसी प्राचीन भारत से,
जो वेदों की ऋचाएं पढ़के औरों को पढ़ाता है।

अदा माशूक की थोड़ी नहीं भाती कभी दिल को,
हमेशा लहलहाते खेतों का दर्शन सुहाता है।

बड़ा ही गर्व होता है सदा उस क्षण को "गौरव" जब,
तिरंगे को नमन करने विदेशी सिर झुकाता है।

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Comment by दिगंबर नासवा on May 18, 2013 at 3:58pm

लाजवाब शेर कहें हैं इस गज़ल में ...

बहुत बहुत बधाई ...

Comment by राज लाली बटाला on May 15, 2013 at 7:31pm

बड़ा ही गर्व होता है सदा उस क्षण को "गौरव" जब,
तिरंगे को नमन करने विदेशी सिर झुकाता है। bahut khoob !

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 9, 2013 at 1:23pm

आहा परम आनंद भाई कुमार गौरव अजीतेन्दु मन को भीतर तक स्पर्श कर गई आपकी यह शानदार, धारधार, लाजवाब ग़ज़ल इसी तरह के विचारों की बड़ी आवश्यकता है भाई शायद कुछ लोगों का नजरिया बदल सके, कुछ परिवर्तन हो सके, मेरी ओरसे दिल से बधाई स्वीकार करें.जयहो 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 9, 2013 at 8:16am

प्रोत्साहन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार आदरणीया कुंती मुकर्जी जी।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 9, 2013 at 8:09am

स्वागत आपका आदरणीया कल्पना रामानी जी। आपसे सराहना पाकर मन हर्षित है। हार्दिक आभार।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 9, 2013 at 8:08am

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय बृजेश जी। आपका स्नेह सर-आँखोंपर।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 9, 2013 at 8:08am

आदरणीय भाई वीनस केसरी जी, आपका हार्दिक स्वागत है। आपसे प्रशंसा पाकर तो उत्साह दुगना-तिगुना हो गया। दिल से आभार आपका।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 9, 2013 at 8:08am

स्नेह एवं सराहना हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद काकाश्री।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 9, 2013 at 8:08am

आदरणीय रक्ताले सर, आपसे सराहना पाकर मेहनत सफल जान पड़ रही है। हार्दिक आभार।

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 9, 2013 at 8:07am

आदरणीय केवल प्रसाद जी, आपका दिल से आभारी हूँ।

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