For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राहत के दो दिन दे रब्बा- गज़ल श्याम सखा श्याम

राहत के दो दिन दे रब्बा,

कुछ अलग से पल छिन दे रब्बा |

दर्द उदासी कितनी बाकी,

आज मुझे तू गिन दे रब्बा |

नाचे थिरके दिल मेरा भी,

ताक धिना धिन-धिन दे रब्बा |

करदे पूरी हर हसरत जो,

ऐसा मुझको जिन दे रब्बा |

यार रकीब हुए जाते हैं,

जीवन उनके बिन दे रब्बा |

दुख के सब गुब्बारे  पिचकें,

घोंप जरा इक पिन दे रब्बा |

(मौलिक अप्रकाशित)

  • श्याम  सखा श्याम

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Thakur on July 5, 2013 at 3:46pm

kya bat hai shaym ji. dil se badaii swikar kare manyawar.

Comment by shyamskha on March 16, 2013 at 8:58pm

स्नेहिल पांडेय जी जर्रानवाजी हेतु शुक्रिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 8:25pm

आदरणीय श्याम भाईजी, आपका इस मंच हार्दिक स्वागत है. यहाँ आपकी किसी पहली प्रस्तुति से गुजर रहा हूँ.

हर शेर अपनी कहानी आप कह रहा है. इस मुकम्मल ग़ज़ल के लिए दिल से दाद कह रहा हूँ.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 15, 2013 at 9:55pm

वाह वाह वाह क्या बात है

इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद हाजिर हैं

Comment by Yogi Saraswat on March 15, 2013 at 11:55am

दर्द उदासी कितनी बाकी,

आज मुझे तू गिन दे रब्बा |

नाचे थिरके दिल मेरा भी,

ताक धिना धिन-धिन दे रब्बा |

बहुत सुन्दर ! एक एक अश'आर अपने आपमें पूर्ण ! बहुत बेहतरीन

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 15, 2013 at 8:20am

दुख के सब गुब्बारे  पिचकें,

घोंप जरा इक पिन दे रब्बा |.........वाह श्याम जी क्या बढ़िया पिन के काफिये को इस्तेमाल किया...जवाब नहीं॥बहुत बहुत बधाइयाँ एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 14, 2013 at 11:41pm

करदे पूरी हर हसरत जो,

ऐसा मुझको जिन दे रब्बा |

यार रकीब हुए जाते हैं,

जीवन उनके बिन दे रब्बा |

क्या कहने... वाह वाह !!!

Comment by shyamskha on March 14, 2013 at 8:28pm

shukriya vijay ji aur kesri ji

Comment by विजय मिश्र on March 14, 2013 at 3:51pm

श्यामसखा जी की गुजारिस उनके साथ मेरे लिए भी सुन दे रब्बा .

Comment by वीनस केसरी on March 14, 2013 at 1:50pm

दर्द उदासी कितनी बाकी,

आज मुझे तू गिन दे रब्बा |

वाह वाह कैसा रवां दवां शेअर है

वाह वा बहुत खूब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service