For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राहत के दो दिन दे रब्बा- गज़ल श्याम सखा श्याम

राहत के दो दिन दे रब्बा,

कुछ अलग से पल छिन दे रब्बा |

दर्द उदासी कितनी बाकी,

आज मुझे तू गिन दे रब्बा |

नाचे थिरके दिल मेरा भी,

ताक धिना धिन-धिन दे रब्बा |

करदे पूरी हर हसरत जो,

ऐसा मुझको जिन दे रब्बा |

यार रकीब हुए जाते हैं,

जीवन उनके बिन दे रब्बा |

दुख के सब गुब्बारे  पिचकें,

घोंप जरा इक पिन दे रब्बा |

(मौलिक अप्रकाशित)

  • श्याम  सखा श्याम

Views: 594

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Thakur on July 5, 2013 at 3:46pm

kya bat hai shaym ji. dil se badaii swikar kare manyawar.

Comment by shyamskha on March 16, 2013 at 8:58pm

स्नेहिल पांडेय जी जर्रानवाजी हेतु शुक्रिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 8:25pm

आदरणीय श्याम भाईजी, आपका इस मंच हार्दिक स्वागत है. यहाँ आपकी किसी पहली प्रस्तुति से गुजर रहा हूँ.

हर शेर अपनी कहानी आप कह रहा है. इस मुकम्मल ग़ज़ल के लिए दिल से दाद कह रहा हूँ.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 15, 2013 at 9:55pm

वाह वाह वाह क्या बात है

इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद हाजिर हैं

Comment by Yogi Saraswat on March 15, 2013 at 11:55am

दर्द उदासी कितनी बाकी,

आज मुझे तू गिन दे रब्बा |

नाचे थिरके दिल मेरा भी,

ताक धिना धिन-धिन दे रब्बा |

बहुत सुन्दर ! एक एक अश'आर अपने आपमें पूर्ण ! बहुत बेहतरीन

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 15, 2013 at 8:20am

दुख के सब गुब्बारे  पिचकें,

घोंप जरा इक पिन दे रब्बा |.........वाह श्याम जी क्या बढ़िया पिन के काफिये को इस्तेमाल किया...जवाब नहीं॥बहुत बहुत बधाइयाँ एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 14, 2013 at 11:41pm

करदे पूरी हर हसरत जो,

ऐसा मुझको जिन दे रब्बा |

यार रकीब हुए जाते हैं,

जीवन उनके बिन दे रब्बा |

क्या कहने... वाह वाह !!!

Comment by shyamskha on March 14, 2013 at 8:28pm

shukriya vijay ji aur kesri ji

Comment by विजय मिश्र on March 14, 2013 at 3:51pm

श्यामसखा जी की गुजारिस उनके साथ मेरे लिए भी सुन दे रब्बा .

Comment by वीनस केसरी on March 14, 2013 at 1:50pm

दर्द उदासी कितनी बाकी,

आज मुझे तू गिन दे रब्बा |

वाह वाह कैसा रवां दवां शेअर है

वाह वा बहुत खूब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service