ओबीओ के समस्त सदस्यों को होली की मंगलमय शुभ कामनाएं
फाग अनुरागी बना, जगत बिरागी मन।
सुन्दर बसंती छटा, लगी मन मोहनी।।
लाठी बरसाने खायें, निज बड़े भाग मानें।
जीवन एकाकी लगे, भायी मृग लोचनी।।
विजया का पान कर, माया का बखान कर।
मतवारे नयनों पे, निहाल भयी बोधनी।।
सत्य जलते ही होली, त्रिविध संताप जरे।
फाग के रंगीले दाग, सजे मन सोहनी।।
-सत्यनारायण सिंह
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
परम आदरणीय सौरभजी, सादर, होली एवं नव वर्ष हेतु मंगलमय शुभ कामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यह वासंतिक पर्व होली एवं आगंतुक नव वर्ष आपको, आपके परिवार को तथा समस्त ओबिओ परिवार को मंगलमय हो इसी शुभ कामनाओं सहित मैं आपका हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ.
होली की शुभकामनाएँ और नव वर्ष की मंगल कामनाएँ, सत्यनारायण भाईजी.
आदरणीय लडिवालाजी, सादर आभार, धन्यवाद
आदरणीय रक्तालेजी, सादर आभार ,
सुन्दर अभिव्यक्ति की लिए बधाई श्री सत्यनारायण सिंह जी
सुन्दर रचना आदरणीय सत्यनारायण जी सादर बधाई स्वीकारें.
आदरणीय केवल प्रसाद जी, सादर आभार आपको भी हार्दिक बधाई ! एवं सपरिवार प्रेम-सद्भावना के प्रतीक होली के पावन त्योहार पर बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं धन्यवाद।
आदरणीय, श्री सत्यनारायण सिहं जी, ‘‘....फाग अनुरागी बनाए जगत बिरागी मन।
सुन्दर बसंती छटाए लगी मन मोहनी।।‘‘ अतिसुन्दर भाव, इस फाग से महादेव शिव जी भी अछूते न रहे और विरागी भी रागी हो गये...वाह वाह क्या बात है! आपको हार्दिक बधाई! आपको सपरिवार प्रेम-सद्भावना के प्रतीक होली के पावन त्योहार पर बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं धन्यवाद।
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