सखी! साजन नहि आए रात।
नयन से नीर,
झर झर टपकत,
सावन झरै बरसात।
सुन्दर-सुन्दर,
सेज सजाई,
करवट करे उफनात।।
सखी! साजन नहि आए रात।
द्वार खड़ी पथ,
उड़त धूल अस,
बड़ा तूफान गहरात।
अब फिर डूबा,
सूरज पछुवा,
फिर-फिर डसे कस रात।।
सखी! साजन नहि आए रात।
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीया, राजेश कुमारी जी, आपकी सराहना एवं उत्साह वर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार!
आदरणीय, राम शिरोमणि पाठक जी, आपकी सराहना एवं उत्साह वर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार!
आदरणीय, आशीष नैथानी सलिल जी, आपकी सराहना एवं उत्साह वर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार!
आदरणीय, गुरूजी,सौरभ पाण्डे जी, आपके आशीष वचनों से मैं धन्य हो गया। सादर एवं बहुत-बहुत हार्दिक आभार।
आदरणीया, कुन्ती मुखर्जी जी, आपके उत्साह वर्धन हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार!
एक विरह्नि कि हिय व्यथा को क्या खूब शब्द दिए हैं अति सुंदर बहुत बहुत बधाई
अति सुन्दर..भाई केवलजी.
बहुत बहुत बधाई.. .
व्यग्र और आकुल दशा की कथा बताता पारंपरिक गीतों की परिधि में आपने सुन्दर गीत रचा है, भाई केवलजी.
बहुत बहुत बधाई.. .
मन को छू देने वाला अति सुंदर गीत . केवल जी अच्छा लगा.
भाई केवल प्रसाद जी....
क्या सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है विरह का, वेदना का, प्रतीक्षा का |
सुन्दर-सुन्दर,
सेज सजाई,
करवट करे उफनात।।
सखी! साजन नहि आए रात।
अति सुन्दर... हार्दिक बधाइयाँ....
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online