ओबीओ परिवार सम, शारद के सब भक्त
’सीख-सिखाना’-अर्चना, भाव गहन हों व्यक्त
भाव गहन हों व्यक्त, आज का दिन पावन है
नदिया धारे धार, जिये नित परिवर्तन है
तट-बंधन दृढ़ युगल, अगर कुछ बेतुक भी हो--
बहती नदिया मौन, कहे सबसे ओबीओ.. .
ओबीओ के प्रादुर्भाव का पावन दिवस सभी सदस्यों और शुभचिंतकों के लिए मंगलमय हो.. . हम समवेत सीखें .. ..
Comment
आदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम, कोमल शब्दों से सुसज्जित सुन्दर मनभावन कुण्डलिया छंद ओ बी ओ के प्रादुर्भाव दिवस पर बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है आपने, जहाँ एक ओर ओ बी ओ मंच आपकी कुण्डलिया से सुशोभित हो रहा है वहीँ दूसरी ओर सदस्त सदस्यों / पाठकों एवं शुभ चिंतकों के प्रति अपार स्नेह और प्रेम को भी दर्शा रहा है यह छंद, ओ बी ओ की तीसरी वर्षगांठ हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.
सुन्दर प्रस्तुति | शुभकामनायें
आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, कुण्डलिया की पंक्ति दर पंक्ति ओ बी ओ के सुरम्य वातावरण को बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है आपने. सच है ओ बी ओ का मंच सभी के लिए सीखने सिखाने का सुन्दर अवसर है. ओ बी ओ की तीसरी वर्षगाँठ पर सादर बधाई.
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