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राना (कनाडा) होली मिलन समारोह सम्पन्न

राजस्थान एसोसियेशन आफ़ नार्थ अमेरिका (राना कनाडा) तथा विश्व हिंदी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में रविवार, दिनांक ३१ मार्च, २०१३ को स्थानीय भारत माता मंदिर, गोर रोड़, ब्रेम्प्टन, कनाडा में धूम-धाम से होली का पर्व मनाया गया। लगभग २०० सदस्यों की उपस्थिती में रंगों की बौछार, होली गीतों की झंकार और ’होली है’ की हुंकार से सारा वातावरण होलीमय हो गया।

लगभग ५ घंटे चले इस होली कार्यक्रम का प्रारंभन स्नैक्स व ठंडाई से हुआ। होली गीत, चुटकुले तथा एक-दूसरे को रंगों से सराबोर करने की होड़ ने वातावरण को अत्यधिक हुल्लासमय कर दिया। इस अवसर पर आन्टेरियो के पीसी दल के नेता श्री टिम हुडक, एम.पी.पी. द्वारा प्रेषित संदेश सरदार हरजीत जसवाल ने पढ़कर सुनाया जिसे राना कनाडा के प्रेज़ीडेंट श्री योगेश शर्मा ने ग्रहण किया।

कार्यक्रम का संचालन विश्व हिंदी संस्थान के संस्थापक प्रो. सरन घई ने किया। सामूहिक भोज व धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2013 at 8:38pm

आदरणीय शरण साहब, आपकी सजगता हिन्दी को विदेशों में विशेषकर कनाडा में सुप्रचारित करने के मिशन पर जिस तरह से एकनिष्ठ है वह चकित तो करती है, गर्व का कारण् अभी है.

होली के आयोजन के साथ-साथ सम्मिलन का कार्यक्रम और हिन्दी चेतना हेतु हुआ प्रयास आपके संचालन कौशल के साथ आपकी दूरदर्शिता को भी बताता है.

आपके प्रयास को सादर प्रणाम.

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 5, 2013 at 8:54pm

सादर, जब विदेशों में भी हमारे पावन त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाये जाते हैं तब सीना गर्व से और चौड़ा हो जाता है. शुभकामनाएं.

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 11:48am

आदरणीय, प्रो0 शरण घई जी, आप सभी को होली खेलते हुए देखकर पुनः याद ताजा हो आई। आपस भी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 5, 2013 at 10:38am

आदरणीय, प्रो0 शरण घई जी, आप सभी को होली खेलते हुए देखकर पुनः याद ताजा हो आई। आपस भी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं। आदर सहित, होली के अवसर पर मैं यह कविता साझा कर रहा हूं-
होली
8,8,16 अन्त में लघु गुरू

मस्त मनन की, घूमत टोली, जोगनिया फागू गाय रही।
इत उत आवतु, चलि जात उड़त, रंगन फुहारि सुहाय रही।।
नाचत गावत, हुड़दंग करत, नर नारि अंग लपटाय रही।
उॅच नीच मन, भेद मिटावत, मानवता रस टपकाय रही।।1

मिल सप्रेम घर, आवत जावत, चिप्स पापड़ कुरकुराय रही।
गुझिया चमचम, बेसन लड्डू, मन मा फूटत हरषाय रही।।
मस्तक अबीर, गालहि गुलाल, गले भेंटत हॅस हॅसाय रही।
प्रेम सदभाव,‘सत्यम‘ एकता, सतरंगी होली बरसाय रही।।2
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

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