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कैसे बीता साल साथ ये समझ नहीं आया
तुमको पाया मानो मैंने नया जन्म पाया
हर प्रकार से बधाई
स्नेही संदीप जी
सदर
आदरणीय अरुण निगम सर जी सादर प्रणाम
आपकी प्रतिक्रिया मैं इतनी सुन्दर पंक्तियाँ पढ़ के मन पुलकित हो रहा है
इन आशीष वचन बद्ध पंक्तियों और शुभकामनाओं हेतु ह्रदय से धन्यवाद
ये स्नेह अनुज के प्रति यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीया वन्दना जी सादर प्रणाम
आपकी शुभकामनाओ के प्रति ह्रदय से धन्यवाद और आभार
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम
आपकी शुभकामनाओं हेतु बहुत बहुत आभार
स्नेह और आशीष अनुज पर बनाये रखिये सादर
आदरणीय अशोक सर जी सादर प्रणाम
आपकी सराहना और शुभकामनाओं हेतु सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
तत आदरणीय
विषम गति विषम ही होती है :)
स्नेह बनाये रखिये
प्रिय संदीप,
वैवाहिक वर्षगाँठ पर हार्दिक शुभकामनायें....
लज्जा का काजल, नयन आँज देना
क्षमा के नुपुर टाँक, पहनाना पायल
बाँहों का गलहार, मृदुवाणी झुमके
हृदय का सुमन,बाँधना पिय के आँचल
रचना हथेली पे विश्वास - मेंहदी
समर्पण का पग में,महावर लगाना
"सद्भावना - प्रेम" ही तो हैं जेवर
अगर हो सके तो इन्हीं से सजाना.
न हम आ सके ब्याह में तो हुआ क्या
है अफसोस थोड़ा,मगर गम नहीं है
रहो खुश सदा, अपने महबूब के संग
हृदय से हृदय का मिलन कम नहीं है.
बहुत भावपूर्ण लिखा इससे बढ़िया तोहफा और क्या होगा धर्म पत्नी के लिए बहुत बहुत शुभकामनायें
आदरणीय भाई संदीप जी सादर, सर्व प्रथम वैवाहिक जीवन की प्रथम वर्षगाँठ पर आपको असीम बधाइयां सम्पूर्ण जीवन आपका सुखमय बीते यही शुभकानाएं हैं.
भाई जी आपकी लिखी एक सुन्दर पंक्ति को कुछ विस्तार दे रहा हूँ बतायें क्या सच है
विषम परिस्थिति में खुश रहना तुमने सिखलाया
"यकीं मानो पहले तो अच्छी भली थी विषम भी ............" हा हा हा........
तुमको पाया मानो मैंने नया जन्म पाया
आदरणीया डॉ प्राची जी सादर प्रणाम
आपकी सराहना और शुभकामनाओं हेतु बहुत बहुत आभार
स्नेह अनुज पर यूँ ही बनाये रखिये
सादर
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