कुंडलिया छंद
नारी तू अबला नहीं, अपनी ताकत जान
Comment
कुंडलियों सुन्दर और सार्थक बता रचना का मान बढाने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरनीय राजेश कुमारी जी |
आपने ठीक समझा, लक्ष्मण में मैंने 4 मात्रा गिनी है (आधा क्ष होने से 1मात्रा मानते हुए), पुनः आभार
बहुत सुन्दर सार्थक कुंडलिया रची हैं आदरणीय लक्ष्मण जी ,एक लघु त्रुटी ---आपने रोले के तृतीय चरण में लक्ष्मण में शायद ४ मात्रा गिनी हैं जब की ५ होंगी इसी और इशारा है संदीप जी का ,हार्दिक बधाई आपको
आपका हार्दिक आभार मोनिक शुक्ला जी,
कुंडलिया पसंद कर उत्स्सहवर्धन हेतु हार्दिक आभार श्री विन्धेय्श्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी, कुशवाहा जी की
रचना नारी नहीं है अबला रात को पढ़ी, प्रदीप जी की सोच एवं भावनाए मुझ से मिलती है यह प्रसन्नता
की बात है |
भाव पसंद कर उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार | आपका सुझाव उचित है संदीप जी दोषी ज्यादा
ठीक रहेगा | त्रुटी की ओर ध्यान दिलाने के लिए साधुवाद |
रचना पसंद कर समर्थन करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी
रचना सराहने के लिए हार्दिक आभार श्री केवल प्रसाद जी
आदरणीय लक्ष्मण सर जी सादर प्रणाम
बहुत ही सुन्दर कलम चली है आपकी कमाल के भाव संप्रेषित हुए हैं जिसके लिए आपको ह्रदय से बधाई
तत आपसे कुछ कहना चाहूँगा
दूषित को .........की जगह यदि दोषी हो जाए तो कैसा रहेगा
तत एक और बात
अंतिम पद में रोले की तृतीय चरण में एक मात्र ज्यादा है
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