For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुंडलिया छंद -लक्ष्मण लडीवाला

कुंडलिया छंद 

पत्नी लागी दाँव पर, गए युधिष्ठिर  हार,

महासमर के वार का, धर्म बना आधार |

धर्म बना आधार, द्रोपदी चीर हरण का,

कृष्ण बने मझधार, तन पर बढ़ते चीर का  

दुशासन मढ़े दोष, देखे न खुद की करनी,       , 

जोश में न खो होश ,लगा न दाँव पर पत्नी|

 

(2)

गहरा संकट चल रहा, अन्धो का है राज,

भीष्म भी खामोश रहे,बने कौन सरताज 

बने कौन सरताज,  मर्यादाए  नहि रही,

इम्तिहान है आज, लाज शर्म अब है नहीं  

दुष्कर्म की शिकार, कर से ढाँपते चेहरा,

नारी करे पुकार,  धर्म  संकट है  गहरा  |

    

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

 

    
 

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 28, 2013 at 12:46pm

सही कह रहे है आप श्री जवाहर सिंह जी, हम सभी जो आँखे मूंदे है, दोषी है | आखिर सरकार हम्मरे द्वारा ही बनती है 

फिर भी रचना धर्मी का कर्तव्य जागरूकता के लिए लिखते रहना है | हम निराश होकर आँख बंद कर बैठ नहीं सकते |

कभी तो जनता, समाज और सरकार जागेगी, यह आशा संजोये रखनी है | आपका हार्दिक आभार 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 27, 2013 at 8:45pm

आदरणीय लड़ीवाला जी, सादर अभिवादन!

क्रूरतम सच्चाई आज सबके सामने है, हम सब भी तो अपनी ऑंखें मूंदे हैं!
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 27, 2013 at 9:54am

आपको भाव पसंद आये श्री राजेश कुमार झा साहब, क्रपुआ आभार स्वीकारे 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 27, 2013 at 9:53am

आदरणीय श्री गणेशजी बागी जी, और श्री अशोक रक्ताले जी, आप दोनों द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के लिए हर्र्दिक आभार 

संशोधन के बाद एक बार कृपया पुनः अवलोकन कर बतावे सुधार कर पाया क्या ? सादर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 4:06pm

आदरणीय लड़ी वाला जी 

वाह सर जी शानदार भाव उक्त रचना हेतु सादर बधाई 

Comment by राजेश 'मृदु' on April 26, 2013 at 3:13pm

वाह-वाह आदरणीय लड़ीवाला जी, शिल्‍प पर मैं बहुत ही कच्‍चा हूं किंतु जिस भाव को लेकर आपने लिखा है वे बहुत अच्‍छे लगे, सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 26, 2013 at 9:26am

रचना के भाव पसंद करने के लिए हार्दिक आभार मेडम उषा तनेजा जी, सादर 

कुंडलिया छंद के भाव पसंद कर उत्स्सह्वर्धन दे लिए हार्दिक आभार श्री सुरेन्द्र कुमार शुक्ला "भ्रमर" भाई, जय श्री राम 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 26, 2013 at 8:03am

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर, आप भाव प्रवाह में शिल्पगत त्रुटियों को नजरंदाज करेंगे तो अच्छे भले भाव भी निराश करेंगे. कुण्डलिया को गुरु गुरु से ही शुरू करें और उसी प्रथम शब्द पर ही अंत करें. सादर.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 26, 2013 at 1:18am

श्री हनुमान जयंती की शुभकामनाए .....कुंडलिया सुन्दर लगी,...आदरणीय लक्ष्मण जी ....जय श्री राधे 

दुष्कर्म की शिकार, फैला चहुँ ओर अधर्म,
करना दूर विकार, संकट में है सब धर्म |

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 25, 2013 at 7:56pm

रोला का पदांत लघु से होता है क्या ? 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service