For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मोरे अँगना मे फूल खिलो आज

मोरे अँगना मे फूल खिलो आज 

री गोरी मोरे ...............आज

मुख लागे है चंद चकोरा
कोमल कोमल तन है गोरा
लोचन लागे हैं अभिरामा
सोचूँ का दैइ हों मैं नामा

नाचे मनवा हमारो छेड़ साज़
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज

खिल खिल हँसता देखे हमको
चितवन खूब लुभावे सबको
देखत कौन अघाय छवि को
दिन में धूल चटाय रवि को

करे बगिया खुदी पे आज नाज़
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज

सोचूँ जियरा भींच भींच के
कही न माने दे ओं खींच के
बड़ा करूँ मे पुष्प ये कोमल
ज्ञान के जल से सींच सीच के

सारे कुल की रखेगा ये लाज
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज


री गोरी मोरे ...............आज


संदीप पटेल "दीप"

Views: 635

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 16, 2013 at 5:59pm

आदरणीय राजेश जी सादर प्रणाम 

रचना की सराहना हेतु बहुत बहुत आभार 

फिलहाल इंतजार है आपको मिठाई खिलाने का 

स्नेह बनाये रखिये 

Comment by राजेश 'मृदु' on April 16, 2013 at 5:54pm

जय हो, इस रचना से कहीं किसी सत्‍य का संबंध तो नहीं बंधुवर, यदि है तो हमारी मिठाई किधर है, सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 16, 2013 at 3:31pm

आदरणीय विजय सर जी सादर प्रणाम
आपकी प्रतिक्रिया का प्रसाद मिला उसके लिए सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए सादर

Comment by vijay nikore on April 16, 2013 at 3:21pm

संदीप जी,

 

सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 16, 2013 at 12:46pm

आदरणीया केवल जी, आदरणीय अशोक सर जी, आदरणीया कुंती जी, आदरणीया डॉ प्राची जी, आदरणीय ब्रजेश जी, आदरणीय गणेश बागी सर जी, आदरणीया राजेश कुमारी जी, आप सभी को यथौचित प्रणाम सहित रचना की सराहना और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 16, 2013 at 12:09pm

प्रिय संदीप बहुत सुन्दर लिखा बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति वाह आँगन में फूल खिलने वाला है शायद अभी से बधाई  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 16, 2013 at 9:44am

घर आँगन में नन्हें फूल का खिलना.. और उसकी खुशबू से माली का मुग्ध हुआ जाना साथ ही उसके स्वरुप को निखारने के स्वप्न से सजी सुकोमल भाव लिए मनभावन रचना..

सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई प्रिय संदीप जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2013 at 9:38am

आंचलिकता की खुशबु से गमकती अच्छी रचना हुई है, बधाई प्रेषित करता हूँ । 

Comment by बृजेश नीरज on April 15, 2013 at 11:13pm

इस सुन्दर रचना के लिए तथा आंगन में फूल खिलने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं!

Comment by coontee mukerji on April 15, 2013 at 11:09pm

बहुत सुंदर सरस श्रृंगारिक रचना मन पुलकित हो गया संदीप जी .हार्दिक बधाई . सादर कुंती .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service