मोरे अँगना मे फूल खिलो आज
री गोरी मोरे ...............आज
मुख लागे है चंद चकोरा
कोमल कोमल तन है गोरा
लोचन लागे हैं अभिरामा
सोचूँ का दैइ हों मैं नामा
नाचे मनवा हमारो छेड़ साज़
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज
खिल खिल हँसता देखे हमको
चितवन खूब लुभावे सबको
देखत कौन अघाय छवि को
दिन में धूल चटाय रवि को
करे बगिया खुदी पे आज नाज़
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज
सोचूँ जियरा भींच भींच के
कही न माने दे ओं खींच के
बड़ा करूँ मे पुष्प ये कोमल
ज्ञान के जल से सींच सीच के
सारे कुल की रखेगा ये लाज
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज
री गोरी मोरे ...............आज
संदीप पटेल "दीप"
Comment
आदरणीय राजेश जी सादर प्रणाम
रचना की सराहना हेतु बहुत बहुत आभार
फिलहाल इंतजार है आपको मिठाई खिलाने का
स्नेह बनाये रखिये
जय हो, इस रचना से कहीं किसी सत्य का संबंध तो नहीं बंधुवर, यदि है तो हमारी मिठाई किधर है, सादर
आदरणीय विजय सर जी सादर प्रणाम
आपकी प्रतिक्रिया का प्रसाद मिला उसके लिए सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए सादर
संदीप जी,
सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीया केवल जी, आदरणीय अशोक सर जी, आदरणीया कुंती जी, आदरणीया डॉ प्राची जी, आदरणीय ब्रजेश जी, आदरणीय गणेश बागी सर जी, आदरणीया राजेश कुमारी जी, आप सभी को यथौचित प्रणाम सहित रचना की सराहना और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
प्रिय संदीप बहुत सुन्दर लिखा बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति वाह आँगन में फूल खिलने वाला है शायद अभी से बधाई
घर आँगन में नन्हें फूल का खिलना.. और उसकी खुशबू से माली का मुग्ध हुआ जाना साथ ही उसके स्वरुप को निखारने के स्वप्न से सजी सुकोमल भाव लिए मनभावन रचना..
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई प्रिय संदीप जी
आंचलिकता की खुशबु से गमकती अच्छी रचना हुई है, बधाई प्रेषित करता हूँ ।
इस सुन्दर रचना के लिए तथा आंगन में फूल खिलने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत सुंदर सरस श्रृंगारिक रचना मन पुलकित हो गया संदीप जी .हार्दिक बधाई . सादर कुंती .
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