Comment
सच कहा आज भी लोगों की सो काल्ड विकास शीलता लड़की का जायदाद में कुछ मांगने पर बौखला जाती है भले ही मकान बेटों की मांग पर दो हिस्सों में बटेगा पर लड़की ने क्यों माँगा यहीं पता चल जाता है की लोगों की क्या मानसिकता है इसी कहानी में यदि लड़की सचमुच मांग लेती तो भाई उससे रिश्ता वहीँ ख़त्म कर देते हर लड़की ये जानती है इसी लिए कोई भी मांग नहीं करती अब समाज से यही सवाल है की क्या रिश्ते सिर्फ लड़कियों को ही निभाने चाहिए लडको को नहीं बहनों को ही भाइयों की चिंता होनी चाहिए भाइयों को नहीं ??सही तो ये होता की जब भाई बटवारे की बात कर रहे हैं तो बहन को भी साथ लें या पिता को उस वक़्त बेटी से खुद कहना चाहिए किन्तु नहीं अभी पूर्णतः विकसित मानसिकता बहुत दूर है आपकी यह लघु कथा जिसका अंत सभी को अच्छा लगेगा किन्तु बहुत से सवाल अपने पीछे छोड़ता है। बहुत बढ़िया कहानी लिखी है बहुत- बहुत बधाई।
अगर यही सोच रहे तो सबका जीवन खुशहाल रहे ! बहुत सुन्दर भाव और बढ़िया सन्देश देती लघु कथा
प्रगतिशीलता पर व्यंग्य करती सुखद अंत में सुन्दर संदेश देती लघु कथा। बधाई स्वीकारें।
आदरणीय कविता जी नमस्कार
एक सीख देती अछि लघु कथा .....शुभकामनाये
बहुत ही सुंदर लघु कथा आदरनेया सादर बधाई स्वीकार कीजिए
आदरणीया कविता जी, लघुकथा बहुत ही अच्छी हुई है, कानून जो भी अधिकार दे दे, किन्तु दिलों में अधिकार तो स्वयं को ही बनाना पड़ता है, इस संदेशपरक लघुकथा पर ह्रदय से बधाई आदरणीया ।
आदरणीया कविता वर्मा जी सुन्दर संदेश देती लघुकथा. जायदाद में बेटी के हिस्से के लिए कुछ अच्छे कानून की दरकार है. बहुत बहुत बधाई.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online