ये दिल आज भी मचलता है तुम्हारे लिए।
अश्कों का दरिया बहता है तुम्हारे लिए।।
मैं जी नहीं पा रही हूँ तुमसे अलग होकर,
सीने में एक दर्द पिघलता है तुम्हारे लिए।।
जाने क्यों मैं आज भी ज़िंदा हूँ तुम्हारे बिन,
मैं आख़िर मर क्यों नहीं जाती तुम्हारे लिए।।
तू मेरी ज़िन्दगी,मेरी जान,मेरा सब कुछ है,
ये साँस आज भी चलती है सिर्फ़ तुम्हारे लिए।।
ताउम्र रहेगा तेरा इंतज़ार मुझको मेरे साथी,
मरकर भी ये आँखें खुली रहेंगी तुम्हारे लिए।।
उम्र भर तड़पेंगे हम तेरी चाहत में दीवानों -से,
ग़र तू न मिला,तो रूह भटकेगी तुम्हारे लिए।।
तुम्हारा साथ बहुत ज़रूरी है मेरे लिए हमदम,
इस बार नहीं तो फिर जन्म लूँगी तुम्हारे लिए।।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]
Comment
आदरणीय अशोक जी,राजेश कुमारी जी,प्राची जी,गीतिका जी और लक्ष्मण प्रसाद जी,आप सभी को सादर नमस्कार !
आप सबके अमूल्य शब्द मेरे लिए प्रेरणास्पद हैं।यही शब्द मुझे अनवरत लेखन को प्रेरित करते हैं।ऐसे ही मुझ पर स्नेह बनाये रखियेगा।आभार !
आकंठ प्रेम में डूबे मन में पुनः पुनः उसी प्रेम के लिए जन्म लेने की बात करते है, तब ही इसप्रकार के भाव
उतपन्न होते है | ऐसी ही भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई सावित्री राठौर जी
पागलपन की पराकाष्ठा तक प्रेम को जीती अभिव्यक्ति..
शुभकामनाएं
ग़र तू न मिला,तो रूह भटकेगी तुम्हारे लिए
जैसे बहुत ही शिद्दत से लिखी गयी भावनाएं ....शुभकामनाएँ आदरणीया सावित्री जी!
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ये मुनासिब नहीं जिंदगी के लिए -----आपकी रचना को पढ़ कर ये जबाब मन में आया ,बेंताह प्यार की गहराई में डूबी इस प्रस्तुति हेतु बधाई आपको
कुंती मुकर्जी जी की बात का समर्थन करुँगी|
आदरणीया सावित्री जी सादर, क्या कहूँ ये प्यार है या जूनून. सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आदरणीय विजय जी,कुंती जी और अभिनव जी, सादर नमस्कार!
आप सभी का मेरी रचना पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त कर मेरा उत्साहवर्धन करने एवं शुभकामनायें देने हेतु बहुत-बहुत आभार।
आदरणीय सावित्री जी भावपूर्ण और मधुर रचना के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
ये प्रेम की पराकाष्ठा ...... हर संवेदनशील प्रेमी ह्रदय को छू जाएगा . प्रेम की ऐसी निष्ठा आजकल है कहाँ......? अगर यह भावनाएँ एक संदेश है तो सावित्री जी आप जीवन में बहुत सफल होंगी . शुभकामनाएँ सहित .
सादर / कुंती .
आदरणीया सावित्री जी:
उद्विग्न हृदय की भावनाओं को अच्छा उकेरा है।
बधाई ।
जीवन में सुख के लिए शुभकामनाएँ और प्रार्थना।
सादर,
विजय निकोर
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