For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्रांति 

-------

चिंता छोड़ो सुख से जियो 

पुस्तक हम भी ले आये 

विश्वास रहा न उनके ऊपर

वोट थे जिनको दे आये

पढ़ा लगा मन उसे प्रतिदिन

चिंता दूर न हो पायी 

गयी बेटी सवेरे पढने 

जब तक वापस घर न आयी

कहाँ देखें कहाँ न देखें 

हर पल लगा रहे  अंदेशा 

न जाने  कहाँ  मिल जाएँ 

राक्षस  बदले हुये वेषा

लाख उपाय कर के  देखे

नित बदल बदल कर कानून

धरना प्रदर्शन आन्दोलन 

रोक सका  न बहता खून          

सोच आपकी गलत नही
सोच कर सोच को देखो

जरूरी हुई  नैतिक शिक्षा

मन आवेगों को रोको

सूरज तपना छोड़े न
मयूर न छोड़ता  नर्तन
सैनिक बजाता  बांसुरी
कवि करता अब कीर्तन
बदलेगा समाज कैसे
कैसे शांति अब  आएगी
रामायण गीता भूले सब
सोचो कैसे क्रांति आयेगी

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

२२-४-२०१३ 

मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 3:25pm

स्नेही पाठक जी 

सादर आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 3:24pm

आदरणीया वेदिका जी 

सादर 

लिखिए , जरूर लिखिए . मार्गदर्शन मिलेगा 

धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 3:23pm

आदरणीय अशोक जी 

सादर आभार 

सस्नेह 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 3:22pm

आदरणीय विजय सर जी 

सादर अभिवादन 

आपके असीम स्नेह हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 3:21pm

आदरणीय वर्मा सर जी 

स्नेह हेतु आभार 

सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 3:20pm

आदरणीया सावित्री जी 

सादर आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 2:52pm

आदरणीया प्राची जी 

सादर अभिवादन 

आपका प्रोत्साहन मुझे आगे बढ़ने में सहायक होगा. 

सादर आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 2:50pm

आदरणीय केडिया जी ; स्नेह हेतु सादर आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 2:49pm

आदरणीया कुंती जी 

सादर अभिवादन 

बदलना पड़ेगा. 

आभार स्नेह हेतु 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 2:48pm

आदरणीया वन्दना जी 

सादर 

पिता की  वेदना है 

आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service