For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! जय जय हनुमान !!!
(मकरी - कालनेमि राक्षस का उध्दार)

तारक तात तड़ाग तरावहिं, तापर तोष तना तन तावत।
दीन दयाल दया दम दानव, देवम दामन दास दिलावत।।
धारति धाय धरा धन धानम, धूल धमाल धरे धड़कावत।
नारद नाच नरेन्द्र निहारत, नाथ नरायन नाम नसावत।।

के0पी0सत्यम/मौलिक एव अप्रकाशित

Views: 508

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 26, 2013 at 6:25pm

आ0 सुरन्द्र वर्मा जी,   आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 25, 2013 at 10:24am

आ0 रक्ताले जी, सर जी, जी यह संक्षिप्त परिचय मुझे पहले ही देना चाहिए था। शिथिलता के लिए क्षमा चाहता हूं। आपका बहुत बहुत अभार। सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 25, 2013 at 8:08am

जानकारी साझा करने के लिए सादर आभार आदरणीय.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 24, 2013 at 10:49pm

आ0 रक्ताले जी,    यह कथा रामचरित मानस के लंका काण्ड की है। श्री हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे तो रावण ने कालनेमि नामक राक्षस को हनुमानजी का राह रोकने हेतु भेजा था।   यथा जब हनुमानजी वहां पहुचे तो कालनेमि ने हनुमान से कहा कि आप थक गये होंगे  पास के सरोवर में हाथ-मुंह धोकर थोड़ा आराम करलें।  हनुमान जी को यह बात जंच गई और वे जैसे ही सरोवर में गए,  उसमें एक मकरी ने हनुमानजी को खाने का प्रयत्न किया।  तभी हनुमानजी ने उसे मार गिराया। तब वह शापित मकरी मुक्त हो सुन्दरनारी बनकर कालनेमि राक्षस की धूर्त चाल के बारे में बताती है। यह जानने के बाद हनुमानजी ने तत्काल पहुचकर कालनेमि को भी स्वर्ग पहुंचा दिया।  इस प्रकार धरा पर रहने वाले दुराचारी और पापियों को तत्काल मोक्ष देते हुए ईश्वर के सानिध्य तक पहुंचाते हैं।  आलसी और धूर्त व्यक्ति तो सदा दूसरों पर आश्रित रहता है लेकिन श्रीहनुमानजी सदैव ही तत्परता से दास भाव होकर  सदगति का मार्ग सुझाते हैं।  आपके आशीश वचन हेतु हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 24, 2013 at 10:05pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर अच्छा सवैया लिखा है, इस मायाथालाजिकल घटना की जानकारी नहीं  होने से मैं उसका ठीक आनंद नहीं ले पाया मगर शिल्प पर सुन्दर कसा हुआ छंद. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 23, 2013 at 8:49pm

आ0 राम शिरोमणि जी, प्रिय मित्र! आपका हार्दिक आभार। सादर,

Comment by ram shiromani pathak on April 23, 2013 at 8:45pm

बधाई इस सुन्दर रचना के लिए .आदरणीय भाई केवल प्रसाद जी //त द ध न का प्रयो अच्छा लगा //

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 23, 2013 at 8:39pm

आ0 श्याम नारायण जी,  आपका बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by Shyam Narain Verma on April 23, 2013 at 12:17pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service