For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जन जन के संताप........कुण्डलिया

सरकारें अब खेलती, यह शतरंजी खेल
ऊँट ऊँट मे मित्रता, हाँथी कसी नकेल
हाँथी कसी नकेल, बजीर हुआ अंजाना
घोडा तिरछी चाल, चले तो पाये दाना
कहते है कविराय, लडा के सबको मारेँ
प्यादों मे तकरार , कराती है सरकारें
----------
कोटा पर जो मिल रहा, चावल चीनी तेल
उसमे क्या क्या हो रहा, कैसा कैसा खेल
कैसा कैसा खेल, खेलते हैं व्यापारी
जीता कोटेदार, बिचारी जनता हारी
कहते हैं कविराय, लगाओ दस दस शोंटा
ठगने खातिर आज, उठाते हैं जो कोटा
-----
चाँदी आलू हो गये, स्वर्ण भये हैं प्याज
बिन काटे ही बह रहे, अश्रु नयन से आज
अश्रु नयन से आज, रो रही दुनिया सारी
नही भोजन के साथ, मिलेगी अब तरकारी
रहे सोच कविराय, बही ये कैसी आँधी
जन जन तो है त्रस्त, नफाखोरों की चाँदी
----------
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 640

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by manoj shukla on May 3, 2013 at 5:38pm
हार्दिक आभार.. आदर्णीय कुशवाहा जी
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 5:01pm

सुन्दर प्रयास 

सादर बधाईआदरणीय मनोज जी 

Comment by manoj shukla on April 26, 2013 at 8:57am

आदर्णीय सौरभ पाण्डेय जी...सादर आभार आपका जो आपने मेरी रचना मे कमी को उजागर किया. मैने उन कमियों को दूर करने का प्रयास किया है....सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 25, 2013 at 11:48pm

कहते है कविराय, नही उनमे है प्रीति
प्यादों मे तकरार , कराती है राजनीति...   इस तरह से कुण्डलिया का अंत नहीं हो सकता. रोला वाला भाग रोला के नियमों क अनुसार ही होगा.

बाकी आपका प्रयास अच्छा है. सतत प्रयासरत रहें.   एक बात और सोंटा  सही शब्द है न कि शोंटा.  हम अक्षरियों के प्रति संवेदन शील रहें.

शुभकामनाएँ व बधाइयाँ.. .

Comment by manoj shukla on April 25, 2013 at 8:27pm
आदर्णीय श्री अशोक जी ,तथा आदर्णीय लक्षमण प्रसाद जी आपका सादर आभार....आपके सुझाव अनुसार मैने पोस्ट को एडिट कर दिया है... अपनी रचना को दोषमुक्त करने मे हुई देरी के लिए मै आप सभी महानुभावों से क्षमा माँगता हू जिन्होने मुझे पढा और अपने बहुमूल्य सूझाव दिये
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 25, 2013 at 7:40pm

आदरणीय मनोज जी सादर, सुन्दर कुण्डलिया छंद लिखे हैं किन्तु मुझे लगता है पोस्ट करने की शीघ्रता में आप ठीक से मात्रा गणना नहीं कर पा रहे हैं. अंतिम छंद यदि सुधार कर दिया जाय तो क्या ही सुन्दर निखरेगा. सुन्दर भाव प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 25, 2013 at 7:05pm

तीनो कुंडलिया सुन्दर और सामयिक, हार्दिक बधाई श्री मनोज शुक्ला जी | "जन जन तो त्रस्त" का एक बार पुनः अवलोकन करे 

शायद आप "जन जन तो है त्रस्त" लिखना चाह रहे थे |

Comment by manoj shukla on April 24, 2013 at 10:33pm
सादर आभार आदर्णीय पाठक जी....स्नेह बनाये रखें
Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 9:33pm

कुण्डलियां अच्छी हैं!आ० मनोज शुक्ला जी ///बधाई स्वीकारे।  सादर

Comment by manoj shukla on April 24, 2013 at 8:03pm
सादर आभार आपका आदर्णीया. डा.प्राची जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service