For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पत्थर हो गया है दिल चोट खाते खाते...

पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते ,
असर नहीं करता है अब दर्द कोई आते जाते,
जिंदगी को जीना सिखागयी वो जाते जाते,
अहसान इतना है की मै मर जाऊंगा चुकाते चुकाते,
तनहइयां अब मित्र बन गयी है तडपाते-तडपाते,
यादे बन गयी है तस्वीर याद आते आते,
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते

न समझ सकी वो मुझको कभी भी
थक गया मै उसका दिल पिघलाते-पिघलते
ऐसा बेहोश किया मेरे कातिल ने कि
अब तक होश न आया मुझे आते आते,
भुला न सकूँगा मै उसे कभी भी,
और क्या कहूँ मैं अब आपसे जाते जाते,
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते!!
बिरेश कुमार 'वीर'

Views: 397

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on June 11, 2010 at 8:23pm
और क्या कहूँ मैं अब आपसे जाते जाते,
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते!!


बिरेश जी..धन्यवाद...
Comment by Amrita Choudhary on May 29, 2010 at 7:40pm
hasin hadsa....:)

nice n heart touching lines...
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 11, 2010 at 10:35am
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते ,
असर नहीं करता है अब दर्द कोई आते जाते,
जिंदगी को जीना सिखागयी वो जाते जाते,
अहसान इतना है की मै मर जाऊंगा चुकाते चुकाते,
waah biresh bhai waah......dil ko chu lene wali rachna hai ye aapki....aapka likhne ka tarika dekh kar lagta hai ki aap bahut accha likhne wale hain future me aur isse aur bhi accha likhne wale hain.....ab to besabri se aapki agli rachna ka intezaar rahega.....
thanks for share such a nice poem with us

Preetam Kumar Tiwary

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 11, 2010 at 9:33am
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते ,
असर नहीं करता है अब दर्द कोई आते जाते,
जिंदगी को जीना सिखागयी वो जाते जाते,
अहसान इतना है की मै मर जाऊंगा चुकाते चुकाते,
Waah bhai waah, bahut achha likha hai aapney, Pathar ho gaya dil chot khatey khatey.... really dil ko chhu leney wali line hai yey, Biresh jee aap ki kalam sahi jaa rahi hai, bahut badhiya lagey rahiyey,
Comment by Biresh kumar on May 10, 2010 at 5:03pm
dil se nikle hi hai ap sabke dil me utarne ke liye
thanks
ye to sirf suruat hai .........
hum to apke dil me utar kr ghar bnana chahte hai sarkar
Comment by Admin on May 10, 2010 at 4:13pm
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते ,
असर नहीं करता है अब दर्द कोई आते जाते,
जिंदगी को जीना सिखागयी वो जाते जाते,
अहसान इतना है की मै मर जाऊंगा चुकाते चुकाते,
बहुत बढ़िया बिरेश जी, एक बार फिर अच्छी रचना पढने को मिली है, काफी सुंदर कविता बन पड़ी है , धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
17 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
18 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
20 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service