For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पत्थर हो गया है दिल चोट खाते खाते...

पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते ,
असर नहीं करता है अब दर्द कोई आते जाते,
जिंदगी को जीना सिखागयी वो जाते जाते,
अहसान इतना है की मै मर जाऊंगा चुकाते चुकाते,
तनहइयां अब मित्र बन गयी है तडपाते-तडपाते,
यादे बन गयी है तस्वीर याद आते आते,
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते

न समझ सकी वो मुझको कभी भी
थक गया मै उसका दिल पिघलाते-पिघलते
ऐसा बेहोश किया मेरे कातिल ने कि
अब तक होश न आया मुझे आते आते,
भुला न सकूँगा मै उसे कभी भी,
और क्या कहूँ मैं अब आपसे जाते जाते,
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते!!
बिरेश कुमार 'वीर'

Views: 393

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on June 11, 2010 at 8:23pm
और क्या कहूँ मैं अब आपसे जाते जाते,
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते!!


बिरेश जी..धन्यवाद...
Comment by Amrita Choudhary on May 29, 2010 at 7:40pm
hasin hadsa....:)

nice n heart touching lines...
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 11, 2010 at 10:35am
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते ,
असर नहीं करता है अब दर्द कोई आते जाते,
जिंदगी को जीना सिखागयी वो जाते जाते,
अहसान इतना है की मै मर जाऊंगा चुकाते चुकाते,
waah biresh bhai waah......dil ko chu lene wali rachna hai ye aapki....aapka likhne ka tarika dekh kar lagta hai ki aap bahut accha likhne wale hain future me aur isse aur bhi accha likhne wale hain.....ab to besabri se aapki agli rachna ka intezaar rahega.....
thanks for share such a nice poem with us

Preetam Kumar Tiwary

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 11, 2010 at 9:33am
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते ,
असर नहीं करता है अब दर्द कोई आते जाते,
जिंदगी को जीना सिखागयी वो जाते जाते,
अहसान इतना है की मै मर जाऊंगा चुकाते चुकाते,
Waah bhai waah, bahut achha likha hai aapney, Pathar ho gaya dil chot khatey khatey.... really dil ko chhu leney wali line hai yey, Biresh jee aap ki kalam sahi jaa rahi hai, bahut badhiya lagey rahiyey,
Comment by Biresh kumar on May 10, 2010 at 5:03pm
dil se nikle hi hai ap sabke dil me utarne ke liye
thanks
ye to sirf suruat hai .........
hum to apke dil me utar kr ghar bnana chahte hai sarkar
Comment by Admin on May 10, 2010 at 4:13pm
पत्थर होगया है दिल चोट खाते खाते ,
असर नहीं करता है अब दर्द कोई आते जाते,
जिंदगी को जीना सिखागयी वो जाते जाते,
अहसान इतना है की मै मर जाऊंगा चुकाते चुकाते,
बहुत बढ़िया बिरेश जी, एक बार फिर अच्छी रचना पढने को मिली है, काफी सुंदर कविता बन पड़ी है , धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
23 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service