For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नेतागिरी का कीड़ा - व्यंग्य

नेतागिरी का कीड़ा - व्यंग्य 

इस बार चुनाव लड़ने की 

हमने भी ठानी है,

हमारे अंदर नेतागिरी का कीड़ा है

यह बात हमने अभी अभी जानी है |

बचपन में हममें से जो 

पढ़ाई में पिछड़ जाता था 

चाचा ताऊ उसे नेता बनाने की 

सलाह दे जाता था |

हम तो थे शुरू से ही 

अव्वल पढ़ाई में ,

चदते गए सीढियां

स्कूल से कालेज, 

कालेज से विश्वविद्यालय

की चढ़ाई में |

निकल गई आधी उम्र 

भागते भागते नौकरी के पीछे ,

और कोई काम भी नहीं कर सके 

डिग्रियों के बोझ के नीचे |

बेरोज़गारी भत्ता नहीं मिलेगा 

हम कर गए चालीस पार,

बुढ़ापा पेंशन में पड़े 

अभी पूरे बीस साल |

न काम है 

न ही कमाई,

बीवी बच्चों की नजर में 

हमारा काम कपड़े, बर्तन व

घर की साफ़ सफाई |

ऐसी जलालत की जिंदगी से तो

नेता बनना अच्छा लगता है ,

छुटपुट नेताओं को

चमचा बनाना अच्छा लगता है |

चांदी सोने के मुकुट व सिक्के

गले में करारे नोटों की मालाएं 

सजाना अब सच्चा लगता है |

बीवी बच्चों का रौब अब मुझ पर नहीं 

बल्कि, बाहर कानून तोड़ने में चलता है |

क्योंकि कानून बनाने वाले भी हम, 

तोड़ने और मरोड़ने वाले भी हम |

अगर कोई ज्यादा चै चै करे भी तो 

लालीपॉप से मुंह बंद

करवाने वाले भी हम |

वैसे आजकल जनता 

अधिक जागने लगी है,

हमारे बनाये अधिकारों को 

मांगने लगी है |

वो क्या जाने हमारी चतुराई को,

दो धारी कसाई को |

सत्ता में रहेंगें तो 

जनता को सतायेंगें,

विपक्ष में रहेंगें तो 

सत्ता धारियों से 

ता-था थैय्या करवाएंगें |

मौलिक एवं अप्रकाशित 

-उषा तनेजा 

Views: 1402

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 25, 2013 at 8:53pm

आ0  तनेजा जी,   बहुत खूब।   सुन्दर व्यंग ’वो क्या जाने हमारी चतुराई को, दो धारी कसाई को’.... बधाई स्वीकारे।  सादर,

Comment by vijay nikore on April 25, 2013 at 8:46pm

आदरणीया उशा जी:

 

अच्छा व्यंग्य है। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
19 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service