For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सांप नाथ -नाग नाथ उवाच //कुशवाहा //

सांप नाथ -नाग नाथ उवाच 

---------------------------------

सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी 

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

कैसे आती है 

खून बहे रक्त नली में 

तारे टिमके जैसे जमी पर  

प्रेमियों को भाती है

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी

--------------------

न आये तो क्या हो  करते

रात गुजर  कैसे  करते

जनता त्राहि त्राहि करती 

खेती किसानी करते डरती 

हमको  भी तो बतलाओ 

झूठ है या सच है बाती 

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी 

------------------

अपराधियों को खूब फब्ती   

गली सडक चौराहे पर 

मोमबत्तियां  हैं जलती 

राष्ट्र हित में उर्जा  बचती 

देता सब कोई  बधाई 

सुन लो अब मेरे भाई 

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी

---------------------

इतनी महंगी है क्यों फिर 

लोड टैरिफ लगे  है सिर

कम्पनी घाटे में दिखती 

रात अँधेरे में  कटती 

कैसी है बेशर्मायी 

मिल काटते नित मलाई 

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी

---------------------

बिजली का बिल वे न भरते

कटिया  कनेक्शन घर सजते 

कसो आन्दोलन करते 

बिल तुम्हारा भी तो बाक़ी 

स्टाफ संग क्या सगाई 

बिजली मंत्री हूँ भाई 

बिजली आती है 

हाँ जी आती है 

सुनो सांप नाथ जी 

कहो  नागनाथ जी

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

४-५-२०१३ 

मौलिक /अप्रकाशित 

 

Views: 777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 6, 2013 at 9:09pm

आ0 कुशवाहा जी, आपके  नाग नाथजी और सांपनाथ जी की मसखरी में मजा आ गया सर जी, बहुत बहुत हार्दिक  बधाई।  सादर,

Comment by manoj shukla on May 6, 2013 at 6:20pm
बिजली की दिक्कत जैसे मुद्दे पर सुन्दर प्रस्तुति....साँपनाथ नागनाथ के ज़रिए बात को और प्रभावशाली कर दिया है आपने आदर्णीय..बधाई स्वीकारें
Comment by coontee mukerji on May 6, 2013 at 5:41pm

मज़ा आ गया . सांपनाथ और नागनाथ का संवाद पढ़कर ./  आपकी लेखनी का अपना अलग ही लिखने का अंदाज़ है . सादर / कुंती .

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 6, 2013 at 1:54pm

आदरणीय प्रदीप जी सादर ग्रीष्म में भेदभाव पूर्ण  वितरण और  बिजली की आँख मिचोली पसीना निकालती है तब ऐसी रचनाओं का जन्म होता है. बहुत सुन्दर रचना. नेता जनता सभी बिजली का सही बिल चुकाएं तो यह समस्या ख़त्म हो सकती है किन्तु कोई भी ऐसी पहल को उत्सुक नहीं है. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service