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मेरे हित

सच है मां तुमने

केवल जन्‍नत

मांगी थी

सच कहना पर

कब बहना हित

कोई मन्‍नत

मांगी थी ?

सदा-सर्वदा

तेरा पूजन

रहा पिता या

मेरे नाम

बहना का पर

रहा हमेशा

एक वहीं

सबका श्रीराम

सच कहना

कब उसकी खातिर

कितनी चौखट

लांघी थी

सदा सर्वदा

मेरी खातिर

दुआ नहीं क्‍या

मांगी थी ?

और सास बन

तुमने ही तो

कितने ताने

मारे थे

पहली पोती

आई थी जब

किसने बुक्‍के

फाड़े थे ?

शेष कथा जो

सच है सुन लो

पिता तभी

मुस्‍काए थे

आया था जब

पोता तेरा

शिव अभिषेक

कराए थे

जग कहता

तेरे आंचल में

ममता की

गुड़धानी है

पर मुझको यह

वह दरिया है

जिसमें चयनित

पानी है !

(पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by shalini kaushik on May 14, 2013 at 12:02am

बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति 

Comment by ram shiromani pathak on May 13, 2013 at 10:01pm

आदरणीय भाई राजेश  जी बहुत सुन्दर लिखा है आपने //हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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