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!!! नव गीत !!!


जन्नत सा खुशनुमा ये, लखनऊ है हमारा।


ये चमन है हमारा,
हम सुमन हैं सितारा
ये गोमती सुधारा,
मंगल करे हमारा
हम सादगी से जीते, इतिहास है हमारा।1 जन्नत सा...


नव रूप हो रहे हैं,
नवजात जन्म लेते
लम्बी चुप सी गलियां,
छत पर पतंग उड़ाते
पार हो रही नभ में ये, विकास है हमारा।2 जन्नत सा...


उलझन कभी न होती,
बसती रही कलोनी
बागों के दायरे भी,
सौन्दर्य को बढ़ाते
है नवाबी गवाही, चश्म सांस है हमारा।3 जन्नत सा...


उजड़े हुए से मौसम,
हम पर कभी न छाते
गुलजार हैं सदा से,
मस्ती सदा लुटाते
ये सुन्दर चिकन संवारें, लिबास है हमारा।4जन्नत सा...


मस्जिद लक्ष्मण टीला,
मंदिर भी असंख्य है
कौमी नहीं सुहाते,
बस लखनऊसजाते
ये चौक हजरत गंज, सुभाष है हमारा।5 जन्नत सा...


हुसैन भूल-भुलईया,
दिलकुशा शाम छइयां
हजरत महल पुकारे,
मोती महल संवारें
ये अमीना डालीगंज, उल्लास है हमारा।6
जन्नत सा खुशनुमा ये, लखनऊ है हमारा।

के0पी0सत्यम/मालिक एव अप्रकाशित

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Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on May 20, 2013 at 6:43pm

अति सुंदर प्रस्तुति वाह वाह

Comment by Neeraj Nishchal on May 20, 2013 at 6:11pm

बहुत खूब सूरत

Comment by Abhinav Arun on May 20, 2013 at 3:33pm

श्री सत्यम जी नवगीत पर कुछ नहीं कहूँगा पर इस रचना के ज़रिये आपने हम सबको लखनऊ की सैर करा दी इस हेतु हार्दिक बधाई !

Comment by राजेश 'मृदु' on May 20, 2013 at 1:05pm

इसमें मुझे नवगीत का एक भी तत्‍व नजर नहीं आया । इसे किस आधार पर नवगीत कह सकते हैं ।

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