नए रंग खिले नए फूल खिले ,
जीवन में जब से तुम आये |
आँखों से घटाएं बरस रहीं ,
ये प्रेम के सागर लहराए |
कभी पत्थर जैसे जीते थे |
बेहोशी में दिन बीते थे |
जीवन को बोझ सा ढोते थे |
तनहाई में अक्सर रोते थे |
मायूस मेरा दिल नाच उठा ,
जब देख हमे तुम मुस्काये |
सूना इस दिल का आँगन था |
कहीं भटका भटका सा मन था |
औरों को अपना कहते थे |
खुद से ही खफा हम रहते थे |
थाम के बाहें तुम मेरी
मुझको मेरे घर ले आये |
तेरे शुक्र में कुछ ना कह पाऊं |
अच्छा है यही चुप रह जाऊं |
सिज़दे में में शीश झुका लूँ मै |
कुछ हंस लूँ रो लूँ गा लूँ मै |
जो शब्दों में ना समां पाए |
मेरा मौन उसे भी कह जाए |
नीरज
Comment
आदरणीय नीरज जी सदर, सुन्दर भावपूर्ण रचना, आदरेया डॉ. प्राची जी द्वारा शिल्प साधने की सलाह देना उचित ही है, आप कई रचनाएं मंच पर प्रस्तुत कर चुके हैं सभी में भाव और प्रवाह सुन्दर है इसे सम्पूर्णता देने का वक्त है. यह मंच कोरी वाह वाह करने वालों का मंच नहीं है इसका लाभ लें.शुभकामनाएं.
आदरणीया प्राची जी की बात ..बार बार देखें ...ऐसा स्पष्ट ज्ञान और बोध गम्यता और कहाँ ...शुभ शुभ
सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए सादर बधाई स्वीकारें आ नीरज जी...
आदरणीया प्राची जी के संकेतानुरूप संशोधन पश्चात आपका गीत सचमुच और भी निखर जाएगा...
//मात्रा ज्ञान जो कभी चौपाई छंद के माध्यम से पढ़ा था उस पर गंभीर होना ही पड़ेगा//
आपकी कही यह पंक्ति निश्चित ही सुखदाई और आशा जगाने वाली है... आपको बहुत शुभकानाएं...
सादर...
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ. |
सुन्दर भावाभिव्यक्ति शेष प्राची जी ने कह ही दिया है
आदरणीय कुंती जी आदरणीय प्राची जी ने मुझे जो सिखाया मैंने
कभी उसे सीखने की कोशिश नही करी बस अपनी भावनाओं पर
ना जाने कैसे तुकबंदी बिठा देता हूँ मगर लगता है इस मंच पर
आकर अब ये मात्रा ज्ञान जो कभी चौपाई छंद के
माध्यम से पढ़ा था उस पर गंभीर होना ही पड़ेगा ....................
आदरणीय प्राची जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
नीरज जी , प्राची जी ने आपको जो कुछ कह दिया फिर कुछ कहने की आवश्यक्ता नहीं.......हाँ आपकी मनोभावना अच्छी लगी .
सादर
कुंती .
आ० नीरज जी
अंतर्मन के सुकोमल भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति पर हृदय से बहुत बहुत बधाई.
वैसे तो रचना गेयता में है, पर कहीं कहीं प्रवाह अवरुद्ध है...जिसे मात्रिक गणना को साध कर सहज ही सही किया जा सकता है.
इस गीत की मात्राओं को १६-१६ पर साध कर देखिये...क्या खूब निखार आता है.
उदाहरण स्वरुप देखिये ..
मायूस मेरा दिल नाच उठा ,..................................१७ मात्रा
जब देख हमे तुम मुस्काये |..................................ऊपर की पंक्ति में मेरा..और नीचे की में हमें कुछ असहज है
मायूस हृदय फिर नाच उठा ....................१६ मात्रा
जब देख मुझे तुम मुस्काए...................१६ मात्रा
या फिर इनमें देखिये
नए रंग खिले नए फूल खिले ,............१८ मात्रा
जीवन में जब से तुम आये |...............१६ मात्रा
नव रंग खिले नव फूल खिले.........१६ मात्रा
जीवन में जबसे तुम आये.............१६ मात्रा.
शुभेच्छाएँ.
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