For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शार्दूलविक्रीडित छंद

शार्दूलविक्रीडित छंद

इस छन्द में चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में १९ वर्ण होते हैं। १२ वर्णों के बाद तथा चरणान्त में यति होती है। गणों का क्रम इस प्रकार है - गुरु-गुरु-गुरु (मगण ), लघु-लघु-गुरु (सगण ), लघु-गुरु-लघु (जगण), लघु-लघु-गुरु (सगण ) गुरु-गुरु-लघु (तगण ), गुरु-गुरु-लघु (तगण ), गुरु |

 

माँ विद्या वर दायिनी भगवती, तू बुद्धि का दान दे |

माँ अज्ञान मिटा हरो तिमिर को, दो ज्ञान हे शारदे ||

हे माँ पुस्तक धारिणी जगत में, विज्ञान विस्तार दे |

वाग्देवी नव छंद हो रस पगा, ऐसी नयी ताल दे ||

 

संदीप पटेल “दीप”

Views: 15417

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on June 1, 2013 at 9:34pm

अत्यन्त सुन्दर एवं सराहनीय छंद !!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 1, 2013 at 9:07am

संस्कृत काव्य में प्रचलित छंदों में से आपने एक रोचक छंद लिया है, आदरणीय संदीपजी. बधाई स्वीकारें.. .

इस तरह के पोस्ट अनायास न दिया करें. आवश्यक शोध और अभ्यास के उपरांत उचित हो आप इन्हें भारतीय छंद विधान समूह में पोस्ट करें. इससे छंद क्रम भी बना रहेगा और संग्रह भी सोद्येश्य होगा.

आप इस मंच के मानद सदस्य हैं. आपका कोई संकेन्द्रित, विशेषकर विमुग्धता से परे हुआ प्रयास पाठकों और मंच की दृष्टि से दूरगामी होगा. आपसे मंच को बहुत आशाएँ हैं, बशर्ते आप अपने प्रयासों को संयत करें. 

हमारे साथ दिक्कत अब यह हो रही है कि कतिपय रचनाकारों को हम यह समझा सकने में असमर्थ हो रहे हैं कि ’ठोस काव्य सृजन’ और ’चमत्कृत करने की अपेक्षा’ में बहुत अंतर होता है.

ओबीओ पर कोई रचना कई-कई अर्थों में शुद्ध हुई नहीं, उस पर सुझाव आये नहीं कि ठीक वही रचना अन्य साइटों पर वाहवाहियों के तुमुलनाद में उत्फुल्ल दिखती है. ऐसा आयोजनों तक की रचनाओं के साथ हो रहा है. आयोजन समाप्त हुए नहीं रचनाओं पर टिप्पणियों का दौर चल ही रहा है.. कि, रचनाएँ अन्यान्य साइटों पर उपलब्ध करा दी जाती हैं.

अब ऐसे किसी रचनाकार की किसी रचना पर कोई क्यों या क्या टिप्पणी करे?  किसी सुझाव या सलाह को जब कोई रचनाकार इतने चलताऊ ढंग से लेने लगे, तो संदेश यह जाता है कि रचनाकार हर जगह से मात्र और मात्र वाहवाही चाहता है, न कि ठोस सुझाव.  फिर, कोई जागरुक पाठक क्यों उसकी रचनाओं पर समय जाया करे ?

तथ्य सोचनीय है, और इस पर अवश्य ध्यान देने की आवश्यकता है.

शुभेच्छाएँ.. .

Comment by coontee mukerji on May 31, 2013 at 12:59pm

वाह ! संदीप जी , आपने तो हमें कान पकड़कर  कक्षा में बिठा दिया .मजा आ गया . /सादर / कुंती .

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 31, 2013 at 10:59am

आदरणीय केवल प्रसाद जी, आदरणीय लक्षमण सर जी, आदरणीय राम भाई, आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, आदरणीय आशुतोष सर जी , आदरणीया शालिनी जी आप सभी का उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभारी हूँ स्नेह यूँ ही बनाए रखिए सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 31, 2013 at 8:37am

आ0 संदीप भाई जी,   बहुत खूब सूरत रसमयी छन्द आनन्ददायक है।  बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 30, 2013 at 8:21pm

बहुत सुन्दर छंद इस छंद का "शार्दूलविक्रीडित छंद कैसा नाम है | सुन्दर भाव लिए छंद रचना प्रस्तुति के लिए बधाई 

श्री संदीप कुमार पटेल जी 

Comment by ram shiromani pathak on May 30, 2013 at 4:50pm

बहुत सुन्दर आदरणीय//// हार्दिक बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on May 30, 2013 at 3:39pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.....
Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on May 30, 2013 at 2:48pm

bahut sunder chhand

Comment by shalini rastogi on May 30, 2013 at 9:31am

वाग्देवी नव छंद हो रस पगा, ऐसी नयी ताल दे ||... अद्भुत , बहुत सुन्दर भाव ... ऐसी उत्कृष्ट छंद प्रस्तुति के लिए बधाई संदीप जी! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
4 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service