For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भले ही आज जीवन में, तेरे कायम अँधेरा है
इसी दुनिया में ही लेकिन, कहीं रौशन सवेरा है

मै इक ऐसा परिंदा हूँ, नही सीमाएं है जिसकी
मेरी परवाज़ की खातिर, ये दुनिया एक घेरा है

कभी हिंदू कभी मुस्लिम. रहे हैं हारते हरदम
सियासत खेल ऐसा है, न तेरा है न मेरा है

कुतरते ही रहे है देश को, हरदम जहाँ नेता
इसे संसद न कहियेगा, ये चूहों का बसेरा है

न जलती है न मरती है, महज़ कपड़े बदलती है
“ऋषी” इस रूह की खातिर, ये जीवन एक डेरा है

अनुराग सिंह “ऋषी”

अप्रकाशित एवं मौलिक

Views: 624

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anurag Singh "rishi" on June 9, 2013 at 2:05pm

आभारी हू सर उस स्नेह के लिए जो आपसभी से मिल रहा है नमन स्वीकारें
सादर  ----> आदरणीय डा. आशुतोष मिश्रा सर और वीनस केसरी सर :-)

Comment by वीनस केसरी on June 7, 2013 at 1:04am

भाव और शिल्प स्तर पर यह एक कामयाब ग़ज़ल है और ग़ज़लकार बधाई का पात्र है
ढेरो दाद ...

हाँ कहन के स्तर पर कुछ कच्चापन दीखता है मगर जब भाव हो और शिल्प की समझ भी तो कहन पर काबू पाना बहुत मुश्किल कहाँ रह जाता है

शुभकामनाएं

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 6, 2013 at 2:18pm

बेहतरीन ..सादर बधायी के साथ 

Comment by Anurag Singh "rishi" on June 5, 2013 at 11:32pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी
अवश्य मैम आपका सुझाव सर आँखों पर सीखना ही तो है मुझे आप सभी से
धन्यवाद आपको
सादर

Comment by Anurag Singh "rishi" on June 5, 2013 at 11:30pm

आप सभी के इतने प्यार के आगे मै नतमस्तक और कृतघ्न हूँ
आप सभी गुणी जनों के इस प्यार ने एक नई ऊर्जा से परिपूर्ण कर दिया है
आशा है आगे भी आप सभी का आशीष ऐसे ही प्राप्त होता रहेगा
सादर नमन आप सभी को :-)

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 5, 2013 at 9:23pm

वाह वाह वाह 

क्या बात है बहुत सुन्दर आदरणीय 

मै इक ऐसा परिंदा हूँ, नही सीमाएं है जिसकी 
मेरी परवाज़ की खातिर, ये दुनिया एक घेरा है...लाजवाब 

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on June 5, 2013 at 8:47pm

सुन्दर प्रयास! अच्छी ग़ज़ल कही आपने! बधाई स्वीकार हो ऋषि जी!

Comment by Abid ali mansoori on June 5, 2013 at 7:00pm
आदरणीय अनुराग भाई,क्या कहूं शब्द नहीँ मिलते,हार्दिक बधाई आपको!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2013 at 5:48pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है ऋषी जी ---बस इस पंक्ति पर सलाह देना चाहूंगी --- इसे संसद तो न कहिये, ये चूहों का बसेरा है----इसे संसद नहीं समझो ये चूहों का बसेरा है प्रिय अरुन  जी की बात पर गौर फरमाएं  दाद कबूल कीजिये |

Comment by Shyam Narain Verma on June 5, 2013 at 4:40pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
7 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
19 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
yesterday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service