For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदा है आदमी यहाँ उम्मीदों के सहारे

जिंदा है आदमी यहाँ  उम्मीदों के सहारे

मझधार फंसी कश्ती भी लगती है किनारे

देखे नहीं गए हैं  कभी मुझसे दोस्तों

यारों की आँखों बहते हुए अश्कों के धारे

पागल भी, शराबी भी, दीवाना भी कहा है

जिसको लगूँ मैं  जैसा मुझे बैसे पुकारे

नजरें टिकी हुई हैं जमाने की चाँद पर

हम गाफिलों को आज भी प्यारे हैं सितारे

इंसान गर न बोता कभी शूल यहाँ पर

होते नहीं फिर ऐसे यहाँ आज नज़ारे

इंसान ही जब बन गया भगवान् जहाँ का

इंसानों को मुश्किल से यहाँ कौन उबारे ?

नर-नारी बाल-बृद्ध सभी का है एक सवाल

अहसान फरामोशों क्यूँ भला नित नए नारे 

यह रचना मौलिक और अप्रकाशित है”

डॉ आशुतोष मिश्र , निदेशक ,आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी बभनान,गोंडा, उत्तरप्रदेश मो० ९८३९१६७८०१

Views: 650

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 8, 2013 at 1:55pm

आदरणीय ओ बो ओ पर आपका हार्दिक स्वागत है, प्रयास हेतु आपको हार्दिक बधाई किन्तु शिल्प और कत्थ कसावट और श्रम की मांग कर रहे हैं, कई जगह बात स्पष्ट नहीं हो पा रही है. इस पंक्ति हेतु विशेष तौर पर बधाई स्वीकारें.

नजरें टिकी हुई हैं जमाने की चाँद पर

हम गाफिलों को आज भी प्यारे हैं सितारे

Comment by Roshni Dhir on June 8, 2013 at 12:40pm

अच्छा लिखा है आपने युही लिखते रहिये 

आभार 

Comment by shalini rastogi on June 7, 2013 at 5:54pm

प्रथम रचना का हार्दिक अभिनन्दन!

Comment by D P Mathur on June 7, 2013 at 5:11pm

इंसान ही जब बन गया भगवान जहाँ का,
इंसानों को मुश्किल से यहाँ कौन उबारे ?
बहुत खुब !!!

Comment by वेदिका on June 7, 2013 at 2:27pm
हकीकत से परिचय करता हुआ गीत ....

जिंदा है आदमी यहाँ  उम्मीदों के सहारे

मझधार फंसी कश्ती भी लगती है किनारे

 
बधाई आपकी प्रथम प्रस्तुती पर ....!
Comment by बृजेश नीरज on June 7, 2013 at 2:21pm

ओबीओ पर आपकी पहली रचना देखकर बहुत खुशी हुई। मेरी बधाई स्वीकार करें।
सादर!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 7, 2013 at 8:55am

सुन्दर भाव अभिव्यक्ति की लिए हार्दिक बधाई डॉ आशुतोष मिश्र जी 

Comment by yogesh shivhare on June 7, 2013 at 7:41am

बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ

Comment by Abid ali mansoori on June 6, 2013 at 6:11pm
आदरणीय डॉ.साहब बधाई!
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 6, 2013 at 5:50pm

इंसान ही जब बन गया भगवान् जहाँ का

इंसानों को मुश्किल से यहाँ कौन उबारे ?

बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ ! बधाई स्वीकारें!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
19 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
19 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service