आज बढ़ सकते हैं दाम
हाय राम, आम तो आम
बढ़ सकते हैं गुठलियों के भी दाम
ये महँगाई सुरसा के मुहँ की तरह
बढ़ती ही जा रही है
अपनी हरकतों से बाज नही आ रही है
सरकारी नीति यही समझा रही है
जनसंख्या वृद्धि को रोकने मे
महँगाई बहुत बढ़ी भूमिका निभा रही है
भूखे मरेंगे लोग
तरसेगें पीने के लिए जल
आज नही तो कल
जनसंख्या वृद्धि जैसी समस्या का
अपने आप निकल जाएगा हल
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
अच्छा प्रयास, करत करत अभ्यास के -------बधाई
गीतिका वेदिका जी आपके विचारों का आदर करतीहूँ
इस गद्य को आपने कविता की तरह क्यों पोस्ट किया है?
मुझे यदि मार्गदर्शन दे सकें तो आपकी बहुत कृपा होगी।
सादर!
प्रज्ञा जी बहुत सुन्दर बधाई स्वीकार करें////टीवी पर ऐड देखता हूँ कंपनी वाले बिन मौसम भी आम देने का दावा करते है ///शायद उसमे गुठलियाँ नहीं होती ///हा हा हा हा
धन्यवाद
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ……………… |
बढ़िया-
आभार आदरेया-
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