मैंने देखा है ज़िन्दगी को पास से
Comment
बहुत सुंदर
गैरों को भी अपना कह कर देखो - वाह बहुत खूब
भाई आपकी भावनाएं आपके उदार ह्रदय को दर्शा रही हैं, किन्तु यह सभी को भली भांति ज्ञात है कि बदलाव तभी संभव है जब प्रयास करने वाले हाँथ मजबूत हों. समय ऐसा आ गया है कि सकारात्मक सोंच रखने वाले लोग कम और नकारात्मक सोंच के लोग अधिक हैं, यदि कुछ लोग बदलने का प्रयास भी करते हैं तो उनकी निजी समस्याएं उनके आड़े आ जाती हैं और न चाहते हुए भी रास्ता बदलना पड़ता है. खैर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारे.
बड़ी चुनौती बंधुवर, सभी चाहते प्यार ।
किन्तु कहीं देना पड़े, झट करते तकरार ॥
बहुत बढ़िया है आदरणीय-
आभार-
भावाभिव्यक्ति अच्छी है, आदरणीय। बधाई।
सादर,
विजय निकोर
सुंदर भाव!! आपने बहुत वैचारिक भाव समेटे है। बाकि कुछ मै कहना चाहती हूँ
कविता पर गद्य को न हावी होने दे।
मन किया आपकी "पीड़ा" पढ़ के उसे कुछ अपने कातरता में ढ़ालने का का,, कैसी लगी अपने मत से अवगत कराइए
मैंने देखा जब
जिन्दगी को पास से
बहुत पास से
मैंने सुनी
उन आँखों की सिसकियाँ
जो हिलकती है
चुपचाप ही
मैंने देखा है
रोटी के लिए
रोते बिलखते
भूखे मासूम को
जिसने नही देखा
जिन्दगी का
पहला पायेदान भी
वह मासूम
जिसे अभी माँ
कहना भी नही आया
सच! बहुत दुखा दिल
आह! क्यों हुआ ऐसा
अरे! क्यों हुआ ऐसा
आपको इस सृजन पर बहुत बहुत बधाई!
Aadarniya Vijay Sir, main aapki views and comments se sahmat hun. man ki pida ko byakat karne ke liye sundar shabdo ki jarurat nahin padti,,,,abhibyakti ko byakat karne ka koi niyam kanoon nahin hota hai
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