For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वेदियों सा तप्त मन अपने लिए
कर रहा सारे हवन अपने लिए

अपनेपन को छोड़ मतलब साधते
दोस्त का होता चयन अपने लिए

मूढ़ मन में मैल ले गंगा नहा
कर रहा है आचमन अपने लिए

तितलियों को हांक कर भंवरे कहें
फूल कलियाँ हैं चमन अपने लिए

देश की है फ़िक्र किस इंसान को
हर कहीं चिंतन मनन अपने लिए

हिंदियों की नाक ऊँची कर रहा
पश्चिमी का ला चलन अपने लिए

आँख दिखलाता है वो माँ बाप को
संस्कृति का कर हनन अपने लिए

इश्क में है हर ख़ुशी दिलदार की
दर्द गम दिल की चुभन अपने लिए

“दीप” छोटों को बना कर सीढियां
हर बड़ा करता दमन अपने लिए

संदीप पटेल “दीप”

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 420

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 2, 2013 at 9:24pm

आदरणीया गीतिका दीदी, आदरणीय जीतेन्द्र जी , आदरणीय वीनस जी, आदरणीय प्राची जी , आदरणीया वंदना जी ... आप सभी का ह्रदय से धन्यवाद 

आदरणीय वीनस सर जी आपकी हर शेर पे वाह पाना मेरे ग़ज़ल कहने को उंचाई पे ले जाता है ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर 

Comment by vandana on July 2, 2013 at 7:47am

वाह बहुत बढ़िया 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 2, 2013 at 7:29am

आ० संदीप पटेल जी 

बहुत ही खूबसूरत गज़ल लिखी है..

हर एक शेर जैसे ज़िंदगी की कसौटी पर कस-कस के निखारा गया है. बहुत सुन्दर.

बहुत बहुत बधाई.

Comment by वीनस केसरी on July 2, 2013 at 1:58am

वाह वा
भाई दिल खुश कर दिया आपने
एक एक शेर के लिए ढेरों दाद कबूल करें 

रदीफो कवाफ़ी को बहुत खूब निभाया आपने ....


Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 1, 2013 at 6:52pm
आदरणीय...संदीप जी, बहुत ही सुंदर गजल "मूढ़मन में मैल लेगंगा नहा कररहा है आचमन अपने लिए"" ...सच अपनी गजल में आपने 'गंगा में आप मन में मैल लेकर स्नान करने से जीवन सुधर नहीं जाता '.....आदरणीय..वास्तविकता लिए हुई गजल पर हार्दिक बधाई
Comment by वेदिका on July 1, 2013 at 3:05pm

वाह वा ह!!! बेहद सुंदर और चोट करती हुए गजल लिखी आपने आदरणीय संदीप भैया!  

तितलियों को हांक कर भंवरे कहें
फूल कलियाँ हैं चमन अपने लिए ,,वाह 

अपनेपन को छोड़ मतलब साधते
दोस्त का होता चयन अपने लिए,, वाह 

बड़े ही खूब सूरत अश'आर समावेशित 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
18 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service