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बस एक शब्द .............अस्वाभाविक
बहुत सही :)))
//तब तक उनके कानों में आवाज गूँजी- "तो पिता जी! ये है सूरदास का पद, मीरा, तुलसी और कबीर का भजन?"// ,,,बेचारा बच्चा "सच" अपने मुंह से बोल तक नही पाया, और क्या संस्कार चाहिए बच्चो में,,
:))))))
हार्दिक बधाई!
बच्चों को कोई सीख तभी असर करती है जब हम बड़े भी उस पर अमल करते हों बहुत अच्छा कटाक्ष बधाई इस लघु कथा हेतु
sahi kaha sundar
आ0 विन्ध्येश्वरी भाई जी, बहुत शानदार !...हा हा हहह.. जी भाई! ऐसा ही होता है, जब हम स्वयं के मन पर अंकुश नही रखते हैं। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
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