भुन्सारे से संझा तक
घूरे की तरह
उदास
चन्दा घिरा है
काले बादलों में
भरी दोपहर में !!!
सारी रोशनी
खाए जा रहा है
पलकों का बह चुका
काला कलूटा काजल
काश तुम बोलते
ये मौन चिरैया की चुप्पी तोड़ते
गुस्सा लेते
कम से कम कारण तो पता चलता
आँखों से और इन अदाओं से
पता चलता है
प्यार और तकरार
प्यास और इंतज़ार
ईमानदार और मक्कार का
तमन्ना का नहीं
अब देखो न
तमतमाया ये लाल चेहरा
और लाल लाल आँखें
ऐसा लग रहा है जैसे
तुम पिए खाए मैं
किसी से लड़ के आए हो
और किसी ने दिए हों धर के दो चार
अरे छोड़ो न ये तकरार
मुहब्बत का गला दबाने से
यकीन का दम घुट जाता है
और फरेब
सौतन तलाशने लगता है
मुहब्बत निभाने के लिए
मुहब्बत मरती ही नही
कितना भी गला दबा लो
रफ़ी और मुकेश के गाने
उसको गाने ही हैं
.
.
.
आए हाय फिदा हैं
हम ये रोती हँसती आँखों पे
तजुर्बा कहता है
तुम्हारे घर वालों को बुरा कहा होगा
किसी ने है न ??
वरना तुम में तो कोई बुराई है ही नही
लिपट के सिसकते हो
तो लगता है
कोई तूफान
अब थमने के लिए
मेरी धैर्य की बस्तियाँ
उजाड़ने वाला है
यूँ ही मुस्कुराते रहो
तो इश्क़ का पता कैसे चलेगा
है न ????
.......दीप............
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
//लिपट के सिसकते हो
तो लगता है
कोई तूफान
अब थमने के लिए
मेरी धैर्य की बस्तियाँ
उजाड़ने वाला है //
अति सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई, आदरणीय।।
सादर,
विजय निकोर
आप सभी का हृदय से धन्यवाद और सादर आभार स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
वाह आदरणीय प्रिय मित्रवर वाह अति सुन्दर बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बेहतरीन अभिव्यक्ति पर ढेरों बधाई स्वीकारें.
अतिसुन्दर प्रस्तुति
आए हाय फिदा हैं
हम ये रोती हँसती आँखों पे
तजुर्बा कहता है ....................................तजुर्बा
तुम्हारे घर वालों को बुरा कहा होगा
किसी ने है न ??
वरना तुम में तो कोई बुराई है ही नही ..........................हा हा हा हा हा
तुज़ुर्बा झलक रहा है भरपूर ..... सुन्दर अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई आ0 संदीप जी
आ0 संदीप भाई जी, अतिसुन्दर प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
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