For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंद हवा की

लहरों पर बैठ

आकाश ने

हाथों में लिया

सितारों का अक्षत,

अरूणोदय का कुमकुम,

ओस की बूंदें,

बाग से

पुष्प, घास

और तिरोहित कर दी

रात

क्षितिज में।

              - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on July 12, 2013 at 5:03pm

आदरणीय निकोर साहब आपका हार्दिक आभार!

Comment by vijay nikore on July 12, 2013 at 5:02pm

 

अति सुन्दर रचना के लिए बधाई, आदरणीय।

विजय निकोर

Comment by बृजेश नीरज on July 12, 2013 at 4:42pm

आदरणीय राजेश जी इस उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार!

वास्तविकता देखें तो संक्रमित तो मैं हुआ हूं आपकी रचनाओं से।
आपका बहुत आभार!
सादर!

Comment by बृजेश नीरज on July 12, 2013 at 4:39pm

आदरणीय लाडलीवाल जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 12, 2013 at 4:38pm

आदरणीय माथुर साहब आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 12, 2013 at 4:36pm

आदरणीय सुमित जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 12, 2013 at 4:30pm

आदरणीया प्राची जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार!  

Comment by राजेश 'मृदु' on July 12, 2013 at 3:17pm

ये तो गड़बड़ झाला है, आप ऐसे कल्‍पना नहीं कर सकते---- मैं तो अवाक् हूं कि आखिर कैसे आपने ऐसे सोच लिया । आपकी यह अभिव्‍यक्ति बड़ी संक्रामक हो सकती है, कम से कम इसने मुझे तो संक्रमित कर ही दिया । सुना था संत ध्‍यानस्‍थ होते हैं पर रचनाकार भी ध्‍यानस्‍थ हो सकते हैं यह प्रत्‍यक्ष देख रहा हूं । बहुत ही उन्‍नत भावों वाली अभिव्‍यक्ति है ये, सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 12, 2013 at 1:43pm

प्रकृति का सुन्दर अहसास कर चित्रण करने हेतु सुन्दर शब्द संयोजन के लिए बधाई श्री ब्रिजेश नीरज जी 

क्षितिज तिरोहित हो न सकी 

जब जब क्षितिज को पकड़ने का यत्न किया 

क्षितिज हर बार दूर होता चला गया |

आँख खुली तो पता लगा 

खितिज़ को मैने अहसास किया 

देखा, पर क्षितिज का अस्तित्व 

नहीं मिला | - लक्ष्मण 

Comment by D P Mathur on July 12, 2013 at 11:30am

आदरणीय बृजेश जी सदा की भांति सुन्दर चित्रण !      

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
18 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service