कभी सपने सज़ाता है कभी आंसू बहाता है
खुदा दिल चीज़ कैसी है जो पल में टूट जाता है
ये उठते को गिराता है व गिरते को उठाता है
अरे ये वक्त ही तो है सदा हमको सिखाता है
मेरी ज़र्रा नवाज़ी को न कमज़ोरी समझना तुम
अदाकारी परखने का हुनर हमको भी आता है
जो ज़ेरेख्वाब ही मदमस्त हो अपने लिए जीता
ये आदमजात है भगवान को भी भूल जाता है
मै रोऊँ या हंसूं मंज़ूर पर उसको ही लेकर के
भला क्यों आज भी हम पर वो इतना हक जताता है
अदा-ए-दिल्लगी उसकी “ऋषी” दिल जीत लेती है
मुझे ही सामने कर जब मेरी गज़लें सुनाता है
अनुराग सिंह “ऋषी”
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
अच्छी ग़ज़ल हुई है...दाद कुबूल करें !
waah kya baat hai sundar sher kahe aapne badhai
प्रिय अनुराग जी, बेहतरीन गज़ल के लिए बधाई कबूल कीजिये..
ये उठते को गिराता है व गिरते को उठाता है
अरे ये वक्त ही तो है सदा हमको सिखाता है
इन पंक्तियों पर विशेष दाद.................
अनुराग जी ,
आप जी की गज़ल बहुत उम्दा ,बहुत ही कमाल का शेर
ये उठते को गिराता है व गिरते को उठाता है
अरे ये वक्त ही तो है सदा हमको सिखाता है
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ. |
शशी जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका हौसला आफजाई के लिए तथा इतना तर्कसम्मत सुझाव देने के लिए अवश्य आपके सुझाव पर अमल करूँगा
सादर
आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ कविता मैम
ऋषि साहिब आप ने खूब ग़ज़ल कही है. बस आप से एक गुजारिश है इतनी खूबसूरत उर्दू ग़ज़ल के बीच " व " शब्द फिट सा नहीं हो रहा . आप इसे हटा भी सकते हो.
ये उठते को गिराता है व गिरते को उठाता है
अरे ये वक्त ही तो है सदा हमको सिखाता है
behad khoob surat lines hai ...abhivadan sweekare ..
ह्रदय से आभार है आपका नीरज जी हौसला आफजाई के लिए शुक्रिया
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online