For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहाँ उड़ गयी नींदे .... माहिया

रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण, लेखिका से वार्ता के पश्चात हटा दी गई है । 

एडमिन

Views: 896

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shashi purwar on July 15, 2013 at 8:00pm

बागी जी यह घटना क्रम इस प्रकार हुआ , झूठ मुझसे बोला नहीं जाता इसीलिए यह आपके समक्ष ------

मैंने मेल किया था जैसा आपको पहले बताया , १ २ तारीख को  रचना यहाँ पोस्ट की जो नेट व्यवधान के कारन नहीं हो सकी थी ,फिर २ दिन तक मै नेट से ही दूर थी ,आते ही पुनः पोस्ट की ,  फिर बाद में अन्यत्र की सूचना  एक साथी द्वारा मिली ,परन्तु मेरे ब्लॉग पर रोक दी गयी थी ,अब आपसे ज्ञात हुआ की यहाँ प्रकाशन के बाद हम १- २ दिन में अन्यत्र प्रकाशित कर सकते है , तो मुझे सुकून मिला सारी  रचनाये प्रकाशन के इन्तजार में है मेरे ब्लॉग पर . यही समस्या है हर जगह अप्रकाशित चाहिए रचनाये और हम लिख लिख कर सिर्फ सेव ही कर रहे है :(.

नियम मान्य है आप रचना हटा दें  ....... :)


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 15, 2013 at 7:37pm

//मैंने कई साथियों की रचनाये यहाँ के साथ साथ दूसरी जगह भी प्रकाशित देखि है .... यहाँ पोस्ट करने के बाद १- २ दिन बाद अन्य जगह देखने को मिलती है ... ?//

आदरणीया, ओ बी ओ पर प्रकाशन के तत्काल बाद कही भी प्रकाशन किया जा सकता है, किन्तु यदि रचना ओ बी ओ पर प्रकाशन से पूर्व अन्यत्र किसी वेब साईट पर प्रकाशित हो तो रचना "अप्रकाशित" श्रेणी में नहीं होगी न ?
आपकी रचना १२ जुलाई १३ को अन्यत्र प्रकाशित है जबकि ओ बी ओ पर १४ जुलाई १३ को, फिर "अप्रकाशित" कैसे कहेंगे ?  

Comment by shashi purwar on July 15, 2013 at 7:14pm

माननीय बागी जी 

यहाँ का नियम मुझे ज्ञात है ,मैंने यह रचना जब लिखी उसके दूसरे दिन ही पोस्ट कर दी और यह माहिया सिर्फ मैंने अपने गुरूजी को ही भेजे थे ,संकलन कार्य शुरू है .अभी मेरे ब्लॉग पर अगले महीने प्रकाशन के लिए सैट है , दूसरे माहिया प्रकाशित है वहां . आप यहाँ के नियमनुसार पोस्ट हटा सकते है .

सादर

मैंने कई साथियों की रचनाये यहाँ के साथ साथ दूसरी जगह भी प्रकाशित देखि है .... यहाँ पोस्ट करने के बाद १- २ दिन बाद अन्य जगह देखने को मिलती है ... ?

Comment by shashi purwar on July 15, 2013 at 6:59pm

माननीय योगराज जी , नहीं ऐसी कोई बात नहीं है ,तल्खी का पुट यह मेरे स्वाभाव में ही नहीं है , यदि आपको यह महसूस हुआ है तो  क्षमा सहित अनुरोध है आप मेरी तिपणी  मिटा दे .मान्य है .

माहिया सम्बन्धी या अन्य कोई विधा की जानकारी मुझे साँझा करने या सिखने में प्रसन्नता ही होती है .आप जैसे गुनीजनो से ज्ञान का जो भी सागर प्राप्त होगा वह निसंदेह लाभप्रद ही है , हम अभी के जी के विद्यार्थी है .....अन्यथा न लें .   :) वह टिपणी हटा दे .

यह परिवार बहुत अच्छा है ,यहाँ का स्वार्थ रहित सौम्य माहोल ही मुझे यहाँ ले आया और बांध लिया ,ज्ञान चर्चा सदा ही मुझे पसंद है . .... सीखना और भी ज्यादा पसंद , कलम जितनी घिसी जाये उतनी ही निखरती है . आपसे सदैव उम्दा जानकारी प्राप्त हुई है ,आप निसंकोच हमें मार्गदर्शन करें .स्नेह बनाये रखें .

सादर .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 15, 2013 at 5:15pm

//maulik aur aprakashit//

आदरणीया शशि पूर्वा जी, खेद के साथ कहना है कि आपकी यह रचना "अप्रकाशित" नहीं है , ओ बी ओ पर प्रकाशन से पूर्व यह अन्यत्र वेबसाइट/ब्लागस्पाट पर प्रकाशित है,  जबकि आपने रचना के अंत में "maulik aur aprakashit" लिख रखा है. कृपया स्पष्ट करना चाहेंगी, सादर !


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 15, 2013 at 4:07pm

आद. शशि जी, पता नही क्यों मुझे आपकी प्रतिक्रिया में तल्खी का पुट महसूस हो रहा है. आप किस विधा में कब से और कहाँ कहाँ काम कर रही हैं, यह बताने की आवश्यकता नही क्योंकि हम लोग वैसे ही आपकी विद्वता के कायल हैं. माहिया विधा के शिल्प पर क्योंकि बहुत ज़्यादा नही कहा गया इसलिए इस मंच पर उपलब्ध जानकारी आपके साथ साझा करना अपना फ़र्ज़ समझा. विश्वास कीजिए, इस जानकारी साझा करने के पीछे मेरा और कोई उद्देश्य नही था. आप यदि कहें तो मैं अपनी टिप्पणी हटा दूं ?

Comment by shashi purwar on July 15, 2013 at 3:45pm

माहिया में शिल्प के साथ साथ उसके मात्रिक विन्यास को ध्यान रखना जरूरी होता है , एक अलग ही लय धुन होती है ..... इसका आनंद अलग ही होता है .

एक बार जब गुनगुनाये बस मन राम ही जाये .

Comment by shashi purwar on July 15, 2013 at 3:39pm

 माननीय योगराज जी तहे दिल से शुक्रिया आपने रचना को सहारा , माहिया का किंचित ज्ञान है मुझे , मैंने आपकी समीक्षा राजेश जी के माहिया पर पढ़ी , ज्ञानवर्धक है , आभार

मैंने माहिया का ज्ञान माननीय कम्बोज जी से लिया ,उनके मार्गदर्शन में कई बारीकियां सीखी है , हरप्रीत जी इस विधा में पारंगत है , अनेक विधा बहुत समय से लिख रही हूँ , चोका ,तांका ,सदोका ,हाइकु ,.माहिया  ....अनेक प्रकार ..... हाइकु को छोड़कर बाकी का लेखन समयनुसार  करती हूँ  . चूँकि विद्यार्थी हूँ सिखने के लिए तत्पर रहती हूँ . अनुभूति और हाइकू समूह के लिए ३ सालो से नियमित लेखन कर रही हूँ .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 15, 2013 at 3:13pm

बहुत सुन्दर माहिया प्रयास प्रिय शशि पुरवार जी,

ऐसी लोक विधाओं की अपनी ही खुशबू, एक अलग ही मिठास होती है, जो बरबस ही आकर्षित करती है और कानों में घुल कर बहुत लंबे समय तक गूंजती रहती है.

आदरणीय प्रधान संपादक जी द्वारा राजेश जी की पोस्ट पर की गयी टिप्पणी माहिया विधा व शिल्प को सविस्तार समझाती हुई है.. मैंने भी आज ही इस लिंक पर यह जानकारी पहली बार देखी, जिस हेतु आदरणीय प्रधान संपादक जी को सादर आभार.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 15, 2013 at 1:17pm

माननीया शशि जी, माहिया कहने का सुंदर प्रयास है, पहले माहियेको छोड़ बाकी सभी प्रभावशाली हैं, साधुवाद स्वीकरें. कृपया निम्नलिखित लिंक पर आद. राजेश कुमारी जी द्वारा रचित माहिये और मेरी प्रतिक्रिया अवश्य पढ़े.
.

http://openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:286268

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
yesterday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service