1
क्यूँ तुम खामोश रहे
पहले कौन कहे
दोनों ही तड़प सहे .
२
आसान नहीं राहे
पग पग में धोखा
थामी तेरी बाहें .
३
यह जीवन सतरंगी
राही चलता जा
है मन तो मनरंगी .
४
साचे ही करम करो
छल तो काला है
जीवन में रंग भरो .
- शशि पुरवार
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
sabhi mitro ka tahe dil se abhaar , saurabh ji ,ketan ji , ashutosh ji , bahut bahut dhanyavad
आदर्नीया इस सुंदर प्रस्तुति के लिए सादर बधाई स्वीकारें ..
माहिया की प्रस्तुति हेतु सादर शुभकामनाएँ, आदरणीया
माहिया की प्रस्तुति हेतु सादर शुभकामनाएँ, आदरणीया
annapurna ji ,vijay ji ,shyam ji ,aman ji aap sabhi ka tahe dil se abhaar aapko mahiya pasand aaye .
man se likhi gai mahiya ke liye hardik abhar , shashi ji
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ……………… |
क्यूँ तुम खामोश रहे
पहले कौन कहे |
सच्ची मानो दशा !
अच्छे मनोभाव
आभार !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online