प्रियतम कैसा यह विरह, तन्हाँ मैं निश-प्रात ,
मधुरिम-मधुरिम वेदना, पिया प्रेम सौगात //१//
अथक चला अब सिलसिला, मन ही मन संवाद ,
कसमें वादे नित गुनूँ, उर झूमे आह्लाद //२//
जुल्फों के छल्ले बना, खेले मन बेचैन,
स्मृतियों में खोया रहे, साँझ-भोर दिन-रैन //३//
अधरों पर चंचल हँसी, नयन अश्रु की धार,
मोती निश्छल प्रीत के, बने सहज शृंगार //४//
प्रेम रंग की ओढ़नी, साँझ ओढ़ नित आय ,
पलकें मूँदे उर जगे, विरह अगन तड़पाय //५//
नयन जागते स्वप्न में, लिए मिलन की आस,
प्रेम गीत उर गूँजते, कर झंकृत प्रति श्वाँस //६//
भाव प्रवण अनुबंध में, विरह मधुर ज्यों प्रीत,
विलयित दो अस्तित्व जब, मन मुस्काए मीत //७//
सभी सुधिजनों से सादर मार्गदर्शन अपेक्षित है..
मौलिक व अप्रकाशित
डॉ० प्राची
Comment
रचना के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार आ० श्याम नारायण वर्मा जी
दोहों को सराह उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण जी
ahaa kya sundar dohaawali rachi hai aapne aadarneeyaa anupam aur komal bhaavon se bhare in dohon ke liye bahut bahut badhaai ho
आ० वन्दना जी
दोहावली के भावों पर आपकी सराहना पा, लेखनी को बल मिला है
आपका आभार
प्रेम रंग की ओढ़नी, साँझ ओढ़ नित आय ,
पलकें मूँदे उर जगे, विरह अगन तड़पाय //५//
जुल्फों के छल्ले बना, खेले मन बेचैन,
स्मृतियों में खोया रहे, साँझ-भोर दिन-रैन //३// प्रिय प्राची जी ये दोहावली मन को बहुत भायी ,ये दो दोहे तो कमाल के लगे ,बहुत बहुत बधाई उर्दू जबान में कहूँ तो ,इस मुसलसल दोहा वली के लिए ढेरों दाद
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................." |
प्रेम, प्रणय, विरह और श्रृंगार को लेकर मधुरंम मधुरंम दोहे बहुत सुन्दर और मन भावन लगे, हार्दिक बधाई डॉ प्राची बहिन | सादर
sabhi dohoN ke bhaav bahut achchhe lage
दोहावली को सराह अनुमोदित करने के लिए आभार आ० प्रवीण मालिक जी
आदरणीय अशोक जी
दोहावली पर उत्साहवर्धक सराहना के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online