मेरे जीवित होने का अर्थ -
-ये नहीं कि मैं जीवन का समर्थन करता हूँ !
-ये भी नहीं कि यात्रा कहा जाय मृत्यु तक के पलायन को !
ध्रुवीकरण को मानक आचार नही माना जा सकता !
मानवीय कृत्य नहीं है परे हो जाना !
मैं तटस्थ होने को परिभाषित करूँगा किसी दिन !
संभव है-
कि मानवों में बचे रह सके कुछ मानवीय गुण !
मेरा अभीष्ट देवत्व नहीं है !
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……………………................………… अरुन श्री !
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
अरुन शर्मा अनंत भाई जी , आपका निःशब्द हो जाना सम्मान है इस रचना का ! धन्यवाद !
राज कुमार जिंदल सर , मेरी रचना से कही गुढ़ है आपकी टिप्पणी ! अध्यात्म के आप जैसे मर्मज्ञ का सानिध्य अत्यंत सुखकर है आदरणीय ! सराहने के लिए हार्दिक आभार !
मैं तटस्थ होने को परिभाषित करूँगा किसी दिन !
संभव है-
कि मानवों में बचे रह सके कुछ मानवीय गुण
मेरा अभीष्ट देवत्व नहीं है !... .. बहुत खूब आदरणीय अरुण जी ... पर तटस्थ होना आसान नहीं है सबसे है कठिन .. विचारों के गहन तल से उत्पन्न हुयी आपकी कृति को नमन ..और बहुत -२ बधाई
बागी सर , आपका हार्दिक धन्यवाद जो आपने सराहा ! सादर !
मैं तटस्थ होने को परिभाषित करूँगा किसी दिन !
मेरा अभीष्ट देवत्व नहीं है !
बहुत ही बढि़या रचना है, सादर
आदरणीय अरुन श्री भाई जी सच कहूँ तो आपकी इस सुन्दर रचना पर कुछ भी कहने हेतु मेरे पास शब्द नहीं हैं, आपकी रचनाओं में कुछ न कुछ अलग पढ़ने को मिलता है. प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.
रचना में निहित गहन भाव को ग्रहण कर मन मोहित है, अंततः मानव में बचे मानवीय गुण ही स्वयम को और समाज को काम आता है, बधाई इस रचना पर आदरणीय अरुण श्री ।
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