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दोहे ( प्रथम प्रयास )

दोहे ( प्रथम प्रयास ) 

दर दर भटके पूजता, तू महंत फकीर ।

चरण छुये माँ-बाप के, बनती है तकदीर ॥ 1 ॥

प्यासे को पानी मिले, भूखा जाये जीम ।

ऐसे घर मे लक्ष्मी, कृपा करे आसीम ॥ 2 ॥

जर जोरु दोनो मिले, बिछ्डे पुन मिल जाँए ।

जग छोड माँ-बाप गये, फिर वापस न आँए ॥ 3॥

छ्प्पन भोग तेरे धरे, देव प्रसन्न न होए ।

जब घर पे माता पिता, भूखे बैठे होए ॥4॥

बाल रुप धर तीन देव, करते अमृतपान ।          

बलिहारी माँ-बाप की, देव करे गुणगान ॥5 ॥

महंत कहे बसन्त कहे, बात ये तु भी मान ।

धरती पे माँ-बाप मे, होते है भगवान ॥6 ॥  

दर दर भटके माँ-बाप, और तु महल बनाए ।

जिस भवन माँ-बाप नही, घर वो ना कहलाए ।। 7 ॥ 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

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Comment

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Comment by बसंत नेमा on July 26, 2013 at 10:22am

आदरणीया महीमा जी आप.का बहुत बहुत धन्यवाद आप को दोहो का भाव पसन्द आया  ,,,शुक्रिया 

Comment by MAHIMA SHREE on July 25, 2013 at 11:45pm

सुंदर और अर्थपूर्ण दोहों के लिए बहुत -२ बधाई आदरणीय नेमा जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 25, 2013 at 11:07am

सुन्दर भाव रचित दोहे, हार्दिक बधाई श्री बसंत नेमा जी | कुछ जगह मात्रा भार और गेयता बाधित लग रही है, जैसे -

जर जोरु दोनो मिले, बिछ्डे पुन मिल जाँए ---------  जाँए ,आँए  में 4-4 मात्राए गिनी जाएगी 

जग छोड माँ-बाप गये, फिर वापस न आँए ॥ 3॥

छ्प्पन भोग तेरे धरे, देव प्रसन्न न होए ।

जब घर पे माता पिता, भूखे बैठे होए ॥4॥

बाल रुप धर तीन देव, करते अमृतपान ।    विषम चरण में 14 मात्राए हो रही है (रूप) में रू *बड़ी मात्रा का आयेगा |       

बलिहारी माँ-बाप की, देव करे गुणगान ॥5 ॥

महंत कहे बसन्त कहे, बात ये तु भी मान ।  विषम चरण में महंत = 4,कहे =3, बसंत में =4,कहे=3 = कुल 14 मात्राए हो रही है 

धरती पे माँ-बाप मे, होते है भगवान ॥6 ॥   साथ ही सम चरण में तू (बड़ी मात्रा का होता है, जिससे १२ मात्राए हो जायेगी 

दर दर भटके माँ-बाप, और तु महल बनाए ।

जिस भवन माँ-बाप नही, घर वो ना कहलाए ।। 7 ॥

Comment by बसंत नेमा on July 25, 2013 at 10:40am

आदरणीया कुंती जी ..आभार शुक्रिया आप को दोहे पसन्द आये .... कृपा मेरी गलतियो को भी बताये ताकि मै एक सफल और सही प्रयास कर सकू । 

Comment by बसंत नेमा on July 25, 2013 at 10:38am

आ0 राम शिरोमणी जी बहुत बहुत शुक्रिया ... आभार .. कृपा कोई त्रुटि हुई हो तो उसे भी अंकित करे ........

Comment by बसंत नेमा on July 25, 2013 at 10:37am

आ0 श्याम जी धन्यवाद आप का आशिर्वाद मिला ... शुक्रिया .... 

Comment by Shyam Narain Verma on July 24, 2013 at 5:33pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by ram shiromani pathak on July 24, 2013 at 3:33pm

सुन्दर प्रयास हुआ है आदरणीय बसंत जी// प्रयासरत रहें  ///हार्दिक बधाई

Comment by coontee mukerji on July 24, 2013 at 3:12pm

दर दर भटके माँ-बाप, और तु महल बनाए ।

जिस भवन माँ-बाप नही, घर वो ना कहलाए ।..................सत्य वचन.

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