दोहे ( प्रथम प्रयास )
दर दर भटके पूजता, तू महंत फकीर ।
चरण छुये माँ-बाप के, बनती है तकदीर ॥ 1 ॥
प्यासे को पानी मिले, भूखा जाये जीम ।
ऐसे घर मे लक्ष्मी, कृपा करे आसीम ॥ 2 ॥
जर जोरु दोनो मिले, बिछ्डे पुन मिल जाँए ।
जग छोड माँ-बाप गये, फिर वापस न आँए ॥ 3॥
छ्प्पन भोग तेरे धरे, देव प्रसन्न न होए ।
जब घर पे माता पिता, भूखे बैठे होए ॥4॥
बाल रुप धर तीन देव, करते अमृतपान ।
बलिहारी माँ-बाप की, देव करे गुणगान ॥5 ॥
महंत कहे बसन्त कहे, बात ये तु भी मान ।
धरती पे माँ-बाप मे, होते है भगवान ॥6 ॥
दर दर भटके माँ-बाप, और तु महल बनाए ।
जिस भवन माँ-बाप नही, घर वो ना कहलाए ।। 7 ॥
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीया महीमा जी आप.का बहुत बहुत धन्यवाद आप को दोहो का भाव पसन्द आया ,,,शुक्रिया
सुंदर और अर्थपूर्ण दोहों के लिए बहुत -२ बधाई आदरणीय नेमा जी
सुन्दर भाव रचित दोहे, हार्दिक बधाई श्री बसंत नेमा जी | कुछ जगह मात्रा भार और गेयता बाधित लग रही है, जैसे -
जर जोरु दोनो मिले, बिछ्डे पुन मिल जाँए --------- जाँए ,आँए में 4-4 मात्राए गिनी जाएगी
जग छोड माँ-बाप गये, फिर वापस न आँए ॥ 3॥
छ्प्पन भोग तेरे धरे, देव प्रसन्न न होए ।
जब घर पे माता पिता, भूखे बैठे होए ॥4॥
बाल रुप धर तीन देव, करते अमृतपान । विषम चरण में 14 मात्राए हो रही है (रूप) में रू *बड़ी मात्रा का आयेगा |
बलिहारी माँ-बाप की, देव करे गुणगान ॥5 ॥
महंत कहे बसन्त कहे, बात ये तु भी मान । विषम चरण में महंत = 4,कहे =3, बसंत में =4,कहे=3 = कुल 14 मात्राए हो रही है
धरती पे माँ-बाप मे, होते है भगवान ॥6 ॥ साथ ही सम चरण में तू (बड़ी मात्रा का होता है, जिससे १२ मात्राए हो जायेगी
दर दर भटके माँ-बाप, और तु महल बनाए ।
जिस भवन माँ-बाप नही, घर वो ना कहलाए ।। 7 ॥
आदरणीया कुंती जी ..आभार शुक्रिया आप को दोहे पसन्द आये .... कृपा मेरी गलतियो को भी बताये ताकि मै एक सफल और सही प्रयास कर सकू ।
आ0 राम शिरोमणी जी बहुत बहुत शुक्रिया ... आभार .. कृपा कोई त्रुटि हुई हो तो उसे भी अंकित करे ........
आ0 श्याम जी धन्यवाद आप का आशिर्वाद मिला ... शुक्रिया ....
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ……………… |
सुन्दर प्रयास हुआ है आदरणीय बसंत जी// प्रयासरत रहें ///हार्दिक बधाई
दर दर भटके माँ-बाप, और तु महल बनाए ।
जिस भवन माँ-बाप नही, घर वो ना कहलाए ।..................सत्य वचन.
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