मेरे दादाजी को श्रद्धांजली स्वरूप कुछ पंक्तियाँ
पिता!
तुम छत थे
ढह गये
तीव्र उम्र तूफान से
दरक गयीं दीवारें
लगाव ख़त्म
आपसदारी 'थी'
'है' नही
न कोई बचाव
धूप से
या बारिश से
शीत से
या गैरों से
न रहा घर
रह गया ढेर
ईंटों का
तुम थे 'एक छत'
हम 'चार दीवारें'
मिटा दिया हमने
अहसास
तुम्हारे होने का
तुम गये, शेष
एक प्रश्न
अवशेष
क्या दीवार के साये में
सुकून होगा
छत के साये सा ?
- गीतिका 'वेदिका'
मौलिक/ अप्रकाशित
Comment
आदरणीया गीतिका जी, बहुत ही सुंदर भाव//हार्दिक बधाई आपको
प्रिय गीतिका मैं आपकी मनोस्थिति समझ सकती हूँ पिछले साल ही इस दौर से गुजरी हूँ पिता हो या माता वो हमारे सरों की छत ही होते हैं छत के बिना सुकून कहाँ ?? अपने व्यथित हृदय से निकले शब्दों भावों में पिरोई रचना अप्रतिम श्रद्धांजली है आपके पिता के लिए वो पास ना होते हुए भी ये सब देख पढ़ रहे होंगे शुभ कामनाएं बस इससे अधिक कुछ नहीं लिख पाऊँगी
आदरणीया मीना पाठक जी ये रचना गीतिका जी की है आपने गलती वश नाम गलत लिख दिया
आदरणीया कुंती जी आप की रचना कई बार पढ़ी फिर भी कुछ लिख नही पा रही हूँ .. आँखे नम हों गई, बधाई
सादर
आदरणीया गीतिका जी बड़ी सुंदरता से पिरोये गए भावों से पिता को श्र्द्धा सुमन देती आपकी रचना के लिए आपको बधाई ।
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ..................... |
आदरणीया गीतिका जी,
बच्चो के सिर पर ,पितारूपी छत के होते, न होने की बहुत ही सहजता से अनुभूति की अभिव्यक्ति है, आपकी रचना में..!
//क्या दीवार के साये में
सुकून होगा
छत के साये सा ?//
बिल्कुल सच पूछा आपने ,जो छत के तले सुकून व् निश्चिन्ता होती है , वो दीवारों के सहारे नही है ! अपितु दीवारों के तो साये, ही नही होते! और बिना छत के तो दीवारे अलग अलग होती है, छत ही उनको जोड़कर व् सुरक्षित रखती है , नही तो दीवारे ढह जाती हैं!
भावनाओं से ओतप्रोत रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें....
अपने को खो देने पर ख़ास कर पिता जिसका साया संबल प्रदान करता रहता है, कुछ दिन तक मन में प्रश्न उठते रहते है
ऐसी ही अन्बुती करते सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई गीतिका "वेदिका" जी
आदरणीया गीतिका जी .. बहुत ही सुंदर भाव अभिव्यक्ति .. बधाई आपको
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online