For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शब्द ही तो थे …
नयनों के झिलमिल
बिम्बों की भाषा
तरल सीकरों में
ढलती अभिलाषा

टूट तो जाने ही थे
अन्तस् के बंध;
विष  से उफनाये वे-
कटुता के छंद !
शब्द ही तो थे...

फट पडीं, ज्यों बेतरह
कपास की गाठें
चिंदी चिंदी  बिखर गये -
अनछुए अर्थ
विद्रोही पवन का
पाकर स्पर्श 
खुले अवगुंठन

 वह उद्दात्त मन का प्रस्फुटन!

शब्द ही तो थे…
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1060

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on August 16, 2013 at 9:59pm

बहुत बहुत धन्यवाद, भ्रमर जी.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 16, 2013 at 8:11pm
चिंदी चिंदी  बिखर गये - 
अनछुए अर्थ
विद्रोही पवन का 
पाकर स्पर्श 
खुले अवगुंठन

 वह उद्दात्त मन का प्रस्फुटन!

शब्द ही तो थे…

आदरणीया विनीता जी खूबसूरत भाव ..सुन्दर शब्द बन्ध ...प्रभावी रचना
भ्रमर ५

Comment by Vinita Shukla on August 11, 2013 at 10:04pm

बहुत बहुत धन्यवाद, केवल प्रसाद जी.

Comment by Vinita Shukla on August 11, 2013 at 10:04pm

सराहना के लिए कोटिशः आभार, आदरणीय सौरभ जी.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 11, 2013 at 3:53pm

आ0 विनीता जी, वाह! वाह!  सादर प्रणाम! वास्विकता और सत्य के बंद में एक बेहतरीन रचना। हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर, 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 3:43pm

आदरणीया विनीताजी,  आपकी रचना संयत और सुगढ़ है. सही है, मन चोट नहीं खाता, सुनता है. 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by Vinita Shukla on August 7, 2013 at 2:08pm

हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय विजय निकोर जी.

Comment by vijay nikore on August 7, 2013 at 10:13am

आदरणीया विनीता जी:

 

//शब्द ही तो थे...

फट पडीं, ज्यों बेतरह
कपास की गाठें
चिंदी चिंदी  बिखर गये -//
इस सार्थक अभिव्यक्ति के लिए बधाई।
 
सादर,
विजय निकोर
Comment by Vinita Shukla on August 5, 2013 at 8:55pm

हार्दिक आभार, आदित्य जी.

Comment by Vinita Shukla on August 5, 2013 at 8:54pm

धन्यवाद वसुंधरा! ओ. बी. ओ. के मंच पर, मिलना सुखद लगा ...हार्दिक स्वागत है..!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
16 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service