For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुंडलियाँ छंद-लक्ष्मण लडीवाला

 मधुशाला खुलती गयी, विद्यालय के पास,  

आजादी जब से मिली, ऐसा हुआ विकास |

ऐसा हुआ विकास, मिले शराब के ठेके

आय करे सरकार, नेता रोटियाँ सेकें

शिक्षा पर हो ध्यान, उन्नत हो पाठशाला

शिक्षालय के पास, हो न कोई मधुशाला |

(२)

रंगत बदले मनुज अब, गिरगिट भी शर्माय   

गिरगिट पुनर्जन्म धरे, नेता बनकर आय |

नेता बनकर आय, क्षमता और बढ़ जावे

पेटू बनकर खाय, खाकर डकार न लावे     

ईश्वर करे सहाय, पाये न इनकी संगत,

सूझे न कछु उपाय,बदलते झट से रंगत |

.

(मौलिक व् अप्रकाशित)

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

Views: 754

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 12, 2013 at 9:29am

अथ्य की सराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीय, शिल्प के सम्बन्ध में आदरणीया डॉ प्राची जी,सीमा जी ने बता दिया है |

आधुनिकता दौर बहे, अर्ध नग्न भी घूम,

जलते वे जलते रहे, चाहे जिसको चूम | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 9:22pm

छंद रचना में कथ्य बहुत प्रभावी है. सही कहा आपने, आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, विद्यालय के पास मधुशाला का अर्थ ही कितना अतुक सा है. लेक्किन जो है सो है.. और वे कहते हैं यही आधुनिकता है.

हृयय से बधाई.. .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 7, 2013 at 10:49am

छंद सराहना के लिए शुक्रिया श्री जवाहर लाल सिंह जी 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 7, 2013 at 10:46am

बहुत ही सुन्दर सन्देश देती कुंडलियाँ!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 7, 2013 at 10:42am

होंसला अफजाई करने और उचित परामर्श हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीया सीमा अग्रवाल जी, सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 7, 2013 at 10:38am

कुंडलियाँ छंद पसंद कर सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री आशीष नैथानी "सलिल" जी 

Comment by seema agrawal on August 7, 2013 at 12:12am

मधुशाला खुलती गयी, विद्यालय के पास,  

आजादी जब से मिली, ऐसा हुआ विकास |....बहुत बढ़िया विषय उठाया है आपने 

रंगत बदले मनुज अब, गिरगिट भी शर्माय   

गिरगिट पुनर्जन्म धरे, नेता बनकर आय |...प्रयास रंग ला रहे हैं ..बढ़ते रहिये 

रहें उचित स्थान पर, गुरु-लघु के यदि वर्ण 

भावों के नग से सजे, तब छंदों का स्वर्ण ....सीमा ...

शुभकामनाएं ...........

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 6, 2013 at 8:35pm

शिक्षा पर हो ध्यान, उन्नत हो पाठशाला

शिक्षालय के पास, हो न कोई मधुशाला |    सही बात  !!!

दोनों कुण्डलियाँ बहुत अच्छी है आदरणीय लड़ीवाला जी
विशेष बधाइयाँ |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 6, 2013 at 12:29pm

भाई श्री बृजेश नीरज जी, एवं श्री अरुण शर्मा अनंत जी, कुंडलिया छंद रचना पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 6, 2013 at 12:28pm

 कुंडलिया छंद पसंद सराहने के लिए हार्दिक आभार महिमा श्री जी, सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service