मधुशाला खुलती गयी, विद्यालय के पास,
आजादी जब से मिली, ऐसा हुआ विकास |
ऐसा हुआ विकास, मिले शराब के ठेके
आय करे सरकार, नेता रोटियाँ सेकें
शिक्षा पर हो ध्यान, उन्नत हो पाठशाला
शिक्षालय के पास, हो न कोई मधुशाला |
(२)
रंगत बदले मनुज अब, गिरगिट भी शर्माय
गिरगिट पुनर्जन्म धरे, नेता बनकर आय |
नेता बनकर आय, क्षमता और बढ़ जावे
पेटू बनकर खाय, खाकर डकार न लावे
ईश्वर करे सहाय, पाये न इनकी संगत,
सूझे न कछु उपाय,बदलते झट से रंगत |
.
(मौलिक व् अप्रकाशित)
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment
अथ्य की सराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीय, शिल्प के सम्बन्ध में आदरणीया डॉ प्राची जी,सीमा जी ने बता दिया है |
आधुनिकता दौर बहे, अर्ध नग्न भी घूम,
जलते वे जलते रहे, चाहे जिसको चूम |
छंद रचना में कथ्य बहुत प्रभावी है. सही कहा आपने, आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, विद्यालय के पास मधुशाला का अर्थ ही कितना अतुक सा है. लेक्किन जो है सो है.. और वे कहते हैं यही आधुनिकता है.
हृयय से बधाई.. .
छंद सराहना के लिए शुक्रिया श्री जवाहर लाल सिंह जी
बहुत ही सुन्दर सन्देश देती कुंडलियाँ!
होंसला अफजाई करने और उचित परामर्श हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीया सीमा अग्रवाल जी, सादर
कुंडलियाँ छंद पसंद कर सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री आशीष नैथानी "सलिल" जी
मधुशाला खुलती गयी, विद्यालय के पास,
आजादी जब से मिली, ऐसा हुआ विकास |....बहुत बढ़िया विषय उठाया है आपने
रंगत बदले मनुज अब, गिरगिट भी शर्माय
गिरगिट पुनर्जन्म धरे, नेता बनकर आय |...प्रयास रंग ला रहे हैं ..बढ़ते रहिये
रहें उचित स्थान पर, गुरु-लघु के यदि वर्ण
भावों के नग से सजे, तब छंदों का स्वर्ण ....सीमा ...
शुभकामनाएं ...........
शिक्षा पर हो ध्यान, उन्नत हो पाठशाला
शिक्षालय के पास, हो न कोई मधुशाला | सही बात !!!
दोनों कुण्डलियाँ बहुत अच्छी है आदरणीय लड़ीवाला जी
विशेष बधाइयाँ |
भाई श्री बृजेश नीरज जी, एवं श्री अरुण शर्मा अनंत जी, कुंडलिया छंद रचना पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार
कुंडलिया छंद पसंद सराहने के लिए हार्दिक आभार महिमा श्री जी, सादर
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