For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धूप का टुकड़ा.....

दरख़्तों से छुपा-छुपी खेलता हुआ

वो तीखी धूप का एक टुकड़ा

मेरे कमरे तक आने को बेचैन

हवा ज्यों तेज़ हो जाती

वो ताक कर मुझे

वापस लौट जाता

इतना रौशन है वो आज कि

उसके ताकने भर से

अँधेरे से बंद कमरे की

आंखें उसकी चमक से

तुरन्त खुल जाती हैं

बहुत नींद में रहता है कमरा

आंखें मिचमिचाता है

कुछ देर तक यूँही देख

फिर आँखें बंद कर लेता है

हम्म ....मुझे लग रहा है

आज धूप का ये टुकड़ा

बारिश के बाद नहाया हुआ

मस्ती में है इसलिए

खेल रहा है शायद

खेलते रहो....तुम दोनों

मैं भी देखूं

कौन मारता है बाज़ी ....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)


....प्रियंका ''पियू ''

Views: 803

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priyanka singh on August 12, 2013 at 10:51pm

माथुर सर आपकी पसंदगी और सराहना का बहुत बहुत शुक्रिया .....

Comment by Priyanka singh on August 12, 2013 at 10:49pm

केवल सर बहुत बहुत आभार आपका .....

Comment by D P Mathur on August 12, 2013 at 10:00pm

आज धूप का ये टुकड़ा

बारिश के बाद नहाया हुआ

मस्ती में है इसलिए

खेल रहा है शायद

खेलते रहो....तुम दोनों

मैं भी देखूं

कौन मारता है बाज़ी ....

सुन्दर प्रस्तुति की बधाई !

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 12, 2013 at 9:21pm

आ0 प्रियंका जी, इक सुन्दर प्रस्तुति। आपको ढेरों बधाईयां। सादर,

Comment by Priyanka singh on August 12, 2013 at 5:11pm

धन्यवाद राजेश सर .....

Comment by Priyanka singh on August 12, 2013 at 5:10pm

बहुत बहुत आभार बसंत सर आपका .....

Comment by Priyanka singh on August 12, 2013 at 5:09pm

अपने बिलकुल सही पहचान लिया सर .....पसंदगी का बहुत बहुत शुक्रिया सुलभ सर जी ......

Comment by राजेश 'मृदु' on August 12, 2013 at 4:23pm

बहुत बढि़या प्रस्‍तुति

Comment by बसंत नेमा on August 12, 2013 at 10:49am

अति सुन्दर चित्रण  आंखो के सामने पूरा बिम्ब उभर के आगया ...बधाई  आ0 प्रियांका जी 

Comment by Sulabh Agnihotri on August 12, 2013 at 9:46am

बहुत सुन्दर बिम्ब उकेरे हैं प्रियंका जी ! मन की हताशाओं के बीच झांकती हुई रोशनी की किरण को क्या सुन्दर अभिव्यक्ति दी है, बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service