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वतन की कौन सोचेगा अगर तुम हम नहीं तो

ल ला ला ला  ल ला ला ला  ल ला ला ला  ल ला ला 

वतन की कौन सोचेगा अगर तुम हम नहीं तो 

पहन लो हाथ में चूड़ी अगर हो दम नहीं तो 

लुटी है आबरू जिसकी वो बिटिया इस चमन की 

वो है जल्लाद गर है आँख किंचित नम नहीं तो 

हसी मंजर हसी रुत ये भला किस काम के हैं 

सफ़र में साथ जब अपने हसी हमदम नहीं तो 

मजा क्या आएगा हम को भला इस जिन्दगी का 

खुशी के साथ थोडा सा कहीं गर गम नहीं तो 

सुखा देती जिगर के घाव तेरी मुस्कराहट 

बदन की चोट हो ना ठीक गर मरहम नहीं तो 

मौलिक व अप्रकाशित 

डॉ आशुतोष मिश्र 

आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी 

बभनान गोंडा 

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Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 12:12am

ताव, प्रभाव और शिल्प के लिहाज से बेहतर नतीजा आया है, आदरणीय आशुतोषजी.

ढेर सारी बधाई स्वीकारें

शुभम्

Comment by MAHIMA SHREE on August 15, 2013 at 12:08pm

वतन की कौन सोचेगा अगर तुम हम नहीं तो 

पहन लो हाथ में चूड़ी अगर हो दम नहीं तो 

लुटी है आबरू जिसकी वो बिटिया इस चमन की 

वो है जल्लाद गर है आँख किंचित नम नहीं तो .... बहुत ही बढिया आदरणीय ..बधाई आपको

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 15, 2013 at 7:33am

बीनस जी आप लोगों से ही चंद महीनात पहले ग़ज़ल के बिषय में जानी का मौका मिला ग़ज़ल की कक्षा और ग़ज़ल की बातें ज्वाइन करके तमाम बातें मालूम हुई ..उसी के आधार पर प्रयास कर रहा हूँ और चाहता हूँ आप सब मार्गदर्शन करते रहे ताकी ग़ज़ल के तमाम तकनीकी बातों की जानकारी मुझे मिल सके ...हार्दिक धन्यवाद के साथ 

Comment by वीनस केसरी on August 15, 2013 at 3:27am

वाह !!!
बेहतरीन ... हार्दिक बधाई स्वीकारें ....
आपकी लेखनी से लगातार अच्छी रचनाएँ पढ़ कर बेहद खुशी होती है

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 14, 2013 at 2:25pm

आदरनीय केतन जी , श्याम जी ..हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Ketan Parmar on August 13, 2013 at 5:59pm

Koshish ke liye bahut mubarak baad

Comment by Ketan Parmar on August 13, 2013 at 5:58pm

Waah

Comment by Shyam Narain Verma on August 13, 2013 at 4:20pm

बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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