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जलते रहे चिराग हवाओं से जूझकर

जलते रहे चिराग हवाओं से जूझकर

जिन्दा रहे थे हम भी गम में यूं डूबकर

चलते रहे थे हम भी लिए दिल में आस ही

वरना ठहर से जाते कभी हम भी टूटकर

बहने लगे थे हम भी लहरों के साथ ही

अब करते भी भला क्या कश्ती से छूटकर

वो हमसफ़र थे अपने मगर फिर भी मौन थे

कटती नहीं हयात मेरे यारों रूठकर

ले जायेगा मुझे भी इक दिन वो दूर यूं

अपनों के नाम होंगे नहीं लव पे भूलकर

जब से हुई हवा ये हवादिश की ही तरह

पीने लगे हैं छांछ सदा हम भी फूंककर

पीते रहे थे आशु जमाने का हम जहर

अपनी पे आये हम तो बोले थे फूटकर

मौलिक व अप्रकाशित 

 

डॉ आशुतोष मिश्र , निदेशक ,आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी बभनान,गोंडा, उत्तरप्रदेश मो० ९८३९१६७८०१

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 14, 2013 at 12:01am

द्विपदी ठीक है लेकिन इसे किसी विधान के निकट होना होगा, आदरणीय. अन्यथा विधा-दोष की भागी होगी.

Comment by shubhra sharma on August 12, 2013 at 10:35pm

आदरणीय आशुतोष जी , अच्छी गजल के लिए हार्दिक शुभकामना 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 12, 2013 at 10:24pm

आदरनीय जितेन्द्रजी , नीरज जी , राज सर , गिरिराज जी , वसुंधरा जी ,अन्नपूर्नाजी , शिज्जू जी, केतन जी , श्याम जी और अरुण  जी ..आपके उत्साह वर्धक शब्दों के लिए तहे दिल धन्यवाद, वर्तनी की गलती अक्सर हो जाती है आदरनीय राज जी के इस मशविरे पर अमल करने का पूरा प्रयास करूंगा , अरुण जी बहर के बिषय में जानकारी नहीं है मैं ल ला के फार्म में लिख दिया करूंगा ..आप सभी से निवेदन हैं इसी तरह अपना स्नेह बनाए रखे ..आप सभी को सादर नमन के साथ 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 11, 2013 at 5:44pm

बहने लगे थे हम भी लहरों के साथ ही

अब करते भी भला क्या कश्ती से छूटकर.........वाह! बहुत खूब, शानदार शेर

बधाई आदरणीय आशुतोष जी

Comment by Neeraj Nishchal on August 11, 2013 at 10:55am
अब आशुतोष जी ग़ज़ल लिखेंगे
तो लाजवाब होना तो वाजिब है
बहुत ही सुन्दर ।
Comment by राज़ नवादवी on August 10, 2013 at 12:34pm

कृपया ;लव ', ' हवादिश '. 'आशु' जैसे शब्दों की वर्तनी शुद्ध कर लें. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2013 at 11:53am
सुन्दर गज़ल भाई आशुतोष !!
Comment by Vasundhara pandey on August 9, 2013 at 4:22pm

चलते का नाम जिंदगी है...सुन्दर ...बहुत सुन्दर...बधाई आपको

Comment by annapurna bajpai on August 8, 2013 at 11:15pm

आदरणीय आशुतोष जी सुंदर भावों के के साथ रची गई गजल हेतु बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 8, 2013 at 10:30pm

डॉ आशुतोष जी ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

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