For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपनी इस ग़ज़ल के साथ सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूँ

आये लौट आज़ादी आज अपनी जवानी में ।

के फहरा दो तिरंगा फिर हवाओं की रवानी में ।

उड़ा दो फिर वही बादल आसमाँ में गुलालों के ,
गुलाबी रंग मिल जाए आज फिर आसमानी में ।

हिमालय की पनाहों में शहीदों को सलामी दे ,
कोई तो गीत गूँजेगा आज गंगा के पानी में ।

बनायें उनके सपनों का चलो आज़ाद भारत हम ,
जिन्होंने ख्वाब देखा था ये अपनी जिंदगानी में ।

आँखों में नमी भरकर लिए मुस्कान होंठो पर ,
चलो कुछ देर बैठे हम फिर उनकी मेजबानी में ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

Views: 795

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 2:40pm

शब्दों में ओज और ऊर्जा की जितनी आवश्यकता आज है उतनी स्वतंत्र भारत के इतिहास में कभी नहीं रही थी. 

पहले दुश्मन भौतिक रूप से दिखता था, तो दीखता भी था. अब दिखता तो अवश्य है, किन्तु दीखता नहीं.
आपकी रचना प्रवाह में होने की दशा को प्राप्त करना चाहती है. जबकि आपने इसके अरमानों पर पानी फेरा हुआ है. रचना को कृपया उसका हक दें.  पंक्तियों में १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ की मात्रिकता को निभायें, फिर मज़ा देखिये.
शुभेच्छाएँ
 

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 11:06pm

आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी बहुत बहुत अनुग्रह आपका ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 11:06pm

आदरणीय ब्रिजेश जी बहुत बहुत आभार
कोशिश करूंगा की आगे से बहार भी लिख दूँ ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 19, 2013 at 11:04pm

बहुत बहुत हार्दिक आभार जीतेन्द्र भाई ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 19, 2013 at 8:37am

बेहतरीन भाव ..शहीदों की मेजवानी हमारा परम कर्तव्य है ..एक से बढ़कर एक लाजबाब शेर ...सक्षम हैं आपके भाव को पाठकों तक पहुचाने में ..सादर बधाई के साथ 

Comment by बृजेश नीरज on August 19, 2013 at 7:34am

बहुत ही सुन्दर भाव लिए है आपकी यह रचना। गज़ल के साथ उसकी बहर का जिक्र अवश्य किया करें जिससे कि पाठक शिल्प पर भी ध्यान दे सके। गेय रचना लिखते समय भाव के साथ साथ उसका शिल्प भी महत्वपूर्ण होता है।
आपके इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 18, 2013 at 6:29pm

उड़ा दो फिर वही बादल आसमाँ में गुलालों के ,
गुलाबी रंग मिल जाए आज फिर आसमानी में ।..........बहुत ही सुंदर भाव

बहुत बहुत बधाई आदरणीय नीरज जी

Comment by Neeraj Nishchal on August 18, 2013 at 12:44am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका बहुत बहुत
हार्दिक शुक्रिया ,
आप जादू की बात करती हैं पर सारा जादू तो परमात्मा
का रहता है हम कैसे जीते हैं कैसे बोलते हैं
कैसे देखते हैं कैसे सोचते हैं ये सब अपने आप
में एक बहुत बड़ा जादू है ,
और कविता उसकी देन है कोई भी कविता देख कर
हमे ये ख़याल आ जाता है कैसे बन गयी ये
इतनी सुन्दर कविता , ज़रूर वो हमे जादू जैसा लगता है
पर अगर हम खुद भी उसका एक करिश्मा हैं
उसका कोई जादू हैं
हम क्यों हैं कब तक हैं कैसे हैं हमे नही पता फिर भी हम हैं
इस से बड़ा चमत्कार और क्या होगा ।
_/\_प्रणाम ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 18, 2013 at 12:32am

भाई विजय जी आपका बहुत बहुत अनुग्रह
आप जो विश्लेषण कर गए उसका
तो पता मुझे भी नही था ।

Comment by Neeraj Nishchal on August 18, 2013 at 12:28am

बहुत बहुत धन्यवाद बहुत बहुत आभार
सुमित भाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service