बह्र : मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन
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न ऐसे देख बेचारा नहीं हूँ
थका तो हूँ मगर हारा नहीं हूँ
है मुझमें रौशनी, गर्मी नहीं पर
मैं इक जुगनू हूँ अंगारा नहीं हूँ
यकीनन संगदिल भी काट दूँगा
तो क्या जो बूँद हूँ धारा नहीं हूँ
सभी को साथ लेकर क्यूँ मिटूँगा?
मैं शबनम हूँ कोई तारा नहीं हूँ
हवा भरना तुम्हारा बेअसर है
मैं इक रोटी हूँ गुब्बारा नहीं हूँ
मेरी हर बात को अंतिम न मानो
मैं पूरा हूँ मगर सारा नहीं हूँ
कभी मैं रह न पाऊँगा महल में
मैं इक झरना हूँ फव्वारा नहीं हूँ
कभी मुझमें उतरकर देख लेना
समंदर हूँ मगर खारा नहीं हूँ
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(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
कभी मैं रह न पाऊँगा महल में
मैं इक झरना हूँ फव्वारा नहीं हूँ
इस ग़ज़ल के होने पर ढेरों बधाइयाँ, आदरणीय सज्जनजी.
सादर
बहुत बहुत धन्यवाद आशीष नैथानी 'सलिल' जी
वाह वाह, हर शेर बेहतरीन है !
मतला और मक्ता विशेष प्रभाव रखते हैं | साथ ही ये शेर भी उम्दा हैं !!
है मुझमें रौशनी, गर्मी नहीं पर
मैं इक जुगनू हूँ अंगारा नहीं हूँ ||
हवा भरना तुम्हारा बेअसर है
मैं इक रोटी हूँ गुब्बारा नहीं हूँ ||
कभी मैं रह न पाऊँगा महल में
मैं इक झरना हूँ फव्वारा नहीं हूँ ||
वाह वाह वाह !!!
आदरणीय धर्मेन्द्र जी बहुत ही उम्दा शेर एक से बढकर एक . यूं तो सभी बहुत अच्छे हैं पर कुछ खास
मैं इक रोटी हूँ गुब्बारा नहीं हूँ
मेरी हर बात को अंतिम न मानो
मैं पूरा हूँ मगर सारा नहीं हूँ
कभी मैं रह न पाऊँगा महल में
मैं इक झरना हूँ फव्वारा नहीं हूँ
बहुत बहुत शुक्रिया Dr.Prachi Singh जी
बहुत बहुत शुक्रिया Abhinav Arun जी, दिल की गहराई तक उतर जाने वाले तो आपके शब्द हैं जिन्होंने मेरा हौसला बहुत बढ़ा दिया है। स्नेह बनाये रखें।
आदरणीय धर्मेन्द्र जी बहुत दमदार अशआर लिखे हैं...
कभी मैं रह न पाऊँगा महल में
मैं इक झरना हूँ फव्वारा नहीं हूँ
कभी मुझमें उतरकर देख लेना
समंदर हूँ मगर खारा नहीं हूँ...............बहुत सुन्दर
हार्दिक बधाई
बार बार पढ़ी और गहराई तक अपने साथ ह्रदय को बहा ले जाने वाली सशक्त ग़ज़ल बेहतरीन नायाब हर शेर मुहावरों की मानिंद ज़बान पर चढ़ जाने वाला है श्री धर्मेन्द्र जी -
ख़ास बधाई इन शेरो के लिए --
सभी को साथ लेकर क्यूँ मिटूँगा?
मैं शबनम हूँ कोई तारा नहीं हूँ
हवा भरना तुम्हारा बेअसर है
मैं इक रोटी हूँ गुब्बारा नहीं हूँ
मेरी हर बात को अंतिम न मानो
मैं पूरा हूँ मगर सारा नहीं हूँ
कभी मैं रह न पाऊँगा महल में
मैं इक झरना हूँ फव्वारा नहीं हूँ
क्या संकेत हैं आदरणीय जादुई असर वाले ... जश्न तो होना चाहिए और सबको निमंत्रण भी ... कम से कम खबर तो मिले फिर तो हम सब चहुंप ही जायेंगे :-)
बहुत बहुत धन्यवाद गीतिका 'वेदिका' जी
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