घर के नौकर छोटू ने नेता जी को सूचना दी, "मालिक मालिक, कुछ लोग आप से मिलने आए हैं "
"तुम उन लोगो को बरामदे मे बिठाओ, शरबत-पानी पिलाओ, मैं तैयार होकर आता हूँ "
नेता जी तैयार होकर निकलने ही वाले थे कि उनकी नज़र छोटू पर पड़ी, "अरे.. ये स्टील के गिलासों में क्या लेकर जा रहा है, रे.. ! "
"मालिक शरबत है, आपने ही कहा था न !"
"पगलाया है का..? " नेता जी उसपर गरजे, "शरबत स्टील के गिलासों मे क्यों लेकर जा रहा है ? दिखता नहीं, वो लोग दूसरे धर्म के हैं ?.. वहाँ आलमारी में शीशे के गिलास पड़ें होंगे, ले जा उस में.. . "
Comment
आदरणीय रविकर जी, आपसे सराहना पाना अच्छा लगता है, स्नेह बना रहे, आभार व्यक्त करता हूँ ।
राजनीति में दोगलेपन पर सटीक व्यंग्य किया है आपने
आदरणीय गणेश जी बहुत ही सटीक व्यंग
दोगले राजकीय नेताओं की सच्चाई को उजागर करती चोट्दार लघुकथा ....प्रासंगिक....सदैव.
ऊपर से सेक्युलर अन्दर से कुछ और वाह रे वाह इन डूएल करेक्टर वालों पर तीखा प्रहार करती लघु कथा ,बहुत बढ़िया हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी
कथा लघु पर भाव गंभीर, यही तथाकथित धर्म निरपेक्ष नेताओं की असलियत है , अपनी लघु कथा के माध्यम से उनके वास्तविक चरित्र को उजागर करने के लिए बहुत बहुत अभिनन्दन . लेकिन ये सब ज्यादा दिन चलने वाला नहीं , बस आगे २० से २५ साल और फिर सबकी कहानी ख़तम , फिर ये न कोई आन्दोलन करने की स्थिति में रहेंगे और न शरबत पानी पिलाने की स्थिति में .
आदरणीय गणेश् बागी जी बहुत् ही यथार्थवादी सुन्देर कथा . गागर मे सागर भर दिया आपने . मेरा सौभाग्य आपके सौजन्य से सुन्दर यथार्थ का अवलोकन कर सकी .
इस कथा का जन्म होना ही था. इसका जन्म लेना ओबीओ के एक संयत मंच के रूप में सामने आने और ससंदर्भ होने की उद्घोषणा है.
इस अति संवेदनशील तथ्य को इतनी गहराई और संयत ढंग से निभा ले जाने पर,भाई गणेश जी, आपको बार-बार बधाई दे रहा हूँ.
आपकी अबतक की सबसे सफल लघुकथाओं में से एक यह लघुकथा बहुत दिनों तक साहित्य के आंगन में उदाहरण सदृश होगी.
शुभ-शुभ
भाई सिज्जू जी, आपकी टिप्पणी आगे और लिखने हेतु प्रेरित करती है, सराहना हेतु बहुत बहुत आभार,मन मुग्ध है, सहयोग बना रहे ।
आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, लघुकथा की आत्मा तक पहुँच कर आपने प्रतिक्रिया व्यक्त किया है, उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार ।
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