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मै शब्द हूँ  ।

मेरा जन्म  हुआ है आप का अंतस बाहर लाने के लिए ।

मै उतना ही सशक्त होता हूँजितनी आप की भावनाएं और

और हाँ !

आप के  चुनाव के अनुपात में भी ,

जो आप चुनते हो हमारे शब्द समाज में से ।

और वो भी तब ही  जब आप,

मेरी /हमारी प्रकृति को भलीभांति जानते हों ।

हाँ, मेरी भी प्रकृति है, स्वभाव है।

हर शब्द की अपनी अलग प्रकृति,

गलत चुनाव , तो अर्थ  गलत ।

जिम्मेदारी आपकी है ,

मेरी जमात में से सही चुनाव की ।

मै निश्छल हूँ ,निष्कलंक हूँ ,तटस्थ हूँ निष्पक्ष हूँ ।

भाव आप के है ,चुनाव आप का है ,विचार आप के हैं।

प्रकट आप होना चाहते हैं ,

अभिव्यत आप होना चाहते हैं ।

खुलना आप चाहते  हैं ।

मैं  तो माध्यम  हूँ ,

ना अच्छा ,ना बुरा ,

न अपना, न पराया ।

वो सब आप हैं ।

मेरी जिम्मेदारी है तो बस इतनी कि,

हममे से जिसे चुना जाये उसकी अभिव्यक्ति दें , बस ।

हम प्रतिबद्ध हैं, जिसके लिये ।

गलत चुनाव से हमारा कुछ न जायेगा ,

जो आप  वास्तव में चाहते हैं वो बाहर न आयेगा।

हानि  लाभ जो होगा आप को होगा।

मैं /हम अपनी प्रकृति के सदा सही हैं , 

और आगे भी रहेंगे ।

चुनाव आपका है,

क्यूँकि भावनाएँ आपकी हैं ।

सदा सही चुनो

सुखी   रहो।  

!!!!! मै शब्द हूँ !!!!! 

 

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

 

 

 

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Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2013 at 11:36am

बसंत भाई , बहुत बहुत आभार !!

Comment by बसंत नेमा on August 19, 2013 at 11:34am

शब्दो को शब्दो के माध्यम से इतना सुन्दर वर्णन . वाह बहुत खुब बधाई ....श्री गिरिराज जी 

कृपया ध्यान दे...

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