बहर : हज़ज़ मुसम्मन सलीम
१२२२, १२२२, १२२२, १२२२,
तुझे भूला हुआ होगा तुझे बिसरा हुआ होगा,
कहीं तो टूटके सीने से दिल बिखरा हुआ होगा,
बदलता है नहीं मेरी निगाहों का कभी मौसम,
असर छोटी सी कोई बात का गहरा हुआ होगा ,
तनिक हरकत नहीं करता सिसकती आह सुन मेरी,
अगर गूंगा नहीं तो दिल तेरा बहरा हुआ होगा,
जिसे अब ढूंढती है आज के रौशन जहाँ में तू,
तमस की गोद में बिस्तर बिछा पसरा हुआ होगा,
चली आई मुझे तू छोड़ कर चुपचाप राहों में,
तुझे महसूस शायद मुझसे ही खतरा हुआ होगा,
कहा रुकना नहीं जाना पलटकर मैं अभी आई,
अरुन अब तक उसी बारिश तले ठहरा हुआ होगा..
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
तुझे भूला हुआ होगा तुझे बिसरा हुआ होगा,
कहीं तो टूटके सीने से दिल बिखरा हुआ होगा,////वाह वाह
बदलता है नहीं मेरी निगाहों का कभी मौसम,
असर छोटी सी कोई बात का गहरा हुआ होगा///वाह भाई क्या कहने
तनिक हरकत नहीं करता सिसकती आह सुन मेरी,
अगर गूंगा नहीं तो दिल तेरा बहरा हुआ होगा,///////आह हाय बहुत खूब
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल भाई अरुण शर्मा जी ,दिल को छू गयी //हार्दिक बधाई आपको
चली आई मुझे तू छोड़ कर चुपचाप राहों में,
तुझे महसूस शायद मुझसे ही खतरा हुआ होगा, ....गजब गजब शेअर
बहुत खूबसूरत गजल
बधाई आदरणीय अरुण अनंत जी!!
बदलता है नहीं मेरी निगाहों का कभी मौसम,
असर छोटी सी कोई बात का गहरा हुआ होगा ,
पढके ग़ज़ल आपकी मदहोश हो गये ।
करने चले तारीफ तो खामोश हो गये ।
क्या बोला जाए अरुण भाई
इतनी खूब सूरत रचना की लिए ।
उसके सामने तारीफ भी क्या लायी जाए ।
जिसे देख कर तारीफ भी शरमा जाए ।
बहुत बहुत दिली शुभकामनाएं ।
बदलता है नहीं मेरी निगाहों का कभी मौसम,
असर छोटी सी कोई बात का गहरा हुआ होगा ,.............वाह! यह बहुत ही बड़ी बात को, धीमे से बोलता हुआ शेर
शानदार गजल पर, तहे दिल से दाद कुबूल कीजियेगा आदरणीय अरुण अनन्त जी
अरुन भाई , अच्छी गज़ल कही , वाह !!
बदलता है नहीं मेरी निगाहों का कभी मौसम,
असर छोटी सी कोई बात का गहरा हुआ होगा , ---- बहुत अच्छी बात !!
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