For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत याद क्यों आज तू आ रही है ?

बहुत याद क्यों आज तू आ रही है ?


किसी ढीठ बच्ची सी नादानियों में
क्यों सुधियों के पन्नों को छितरा रही है ।

सुबह एक छोटी सी प्यारी सी गुड़िया
मेरे गाल पर फूल बिखरा गई थी ।
फुदकती हुई एक नन्हीं गिलहरी
थोड़ी देर गोदी में सुस्ता गई थी ।
अभी तक छुअन रेशमी-रेशमी सी
मेरे नर्म अहसास सहला रही है ।

मेरे सूने कमरे में कुछ देर खेलें
बुलाया था चंचल हवाओं को मैंने
मचलती चली आयें किलकारियाँ सब
कि खोला था मन की गुफाओं को मैंने
वो किलकारियाँ वो हवायें नहीं अब
मगर उनकी खुश्बू तो लहरा रही है ।

ये तनहाइयों और वो बातें, वो यादें
लगी मन में सावन की अब तक झड़ी है
जहाँ से बिछड़ कर अलग हो गये हम
वहीं तू दिया ले के अब तक खड़ी है -
सदा दे रही है, दुआ कर रही है
मगर पास आने से कतरा रही है।

..................... सुलभ

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 612

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 27, 2013 at 12:26am

आदरणीय सुलभजी, क्षमा कि इस रचना पर विलम्ब से आ पारहा हूँ.

सामान्य और वहीवहीपन सेभरे बिम्बों को आपने बेहतर आयाम और भाव दिये हैं.

दूसरा बंद हृदय को हिलोर गया.

सादर बधाइयाँ.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 21, 2013 at 11:38pm

मेरे सूने कमरे में कुछ देर खेलें
बुलाया था चंचल हवाओं को मैंने
मचलती चली आयें किलकारियाँ सब
कि खोला था मन की गुफाओं को मैंने

प्रिय सुलभ जी ...खूबसूरत भाव ..मनमोहक शब्द बन्ध ....आनंद आ गया

..भाई बहन का प्रेम अमर रहे ...रक्षा बंधन की शुभ कामनाएं
भ्रमर ५

Comment by vijay nikore on August 21, 2013 at 7:16am

//बहुत याद क्यों आज तू आ रही है ?//

इस एक पंक्ति ने ही आज बहुत कुछ कह दिया है।

अच्छी रचना के लिए बधाई।

 

इस रचना से मुझको अपनी एक कविता याद आ गई...

"तुम जब भी आती हो, इतना दर्द बन कर क्यूँ आती हो?"

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 21, 2013 at 3:43am

"सुबह एक छोटी सी प्यारी सी गुड़िया
मेरे गाल पर फूल बिखरा गई थी ।
फुदकती हुई एक नन्हीं गिलहरी
थोड़ी देर गोदी में सुस्ता गई थी ।"............बहुत सुंदर भाव, बड़ी ही खुबसूरती से पिरोय हुए

बेहद खुबसूरत रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय सुलभ जी

Comment by Sulabh Agnihotri on August 20, 2013 at 5:21pm

बहुत-बहुत धन्यवाद ! अमन कुमार जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on August 20, 2013 at 5:20pm

बहुत-बहुत धन्यवाद ! श्याम नारायन वर्मा जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on August 20, 2013 at 5:20pm

बहुत-बहुत धन्यवाद ! राम शिरोमणि पाठक जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on August 20, 2013 at 5:19pm

बहुत-बहुत धन्यवाद ! गीतिका वेदिका जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on August 20, 2013 at 5:18pm

बहुत-बहुत धन्यवाद ! गिरिराज भण्डारी जी !

Comment by aman kumar on August 20, 2013 at 3:51pm

लगी मन में सावन की अब तक झड़ी है|

किसी गाने की याद दिला रही है ......

पूरी रचना दिल तक गयी है ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आदरणीय अशोक भाईजी,आपकी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ  एक एकाकी-जीवन का बहुत ही मार्मिक…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. रवि जी "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"स्वागत है आ. रवि जी "
10 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश जी जुलाई में इंदौर आ रहा हूँ मिलत है फिर ।  "
13 hours ago
Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"      आदरणीय अजय जी ग़ज़ल के प्रयास केलिये आपको बधाई देता हूँ । ऐसा प्रतीत हो रहा है…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरीणीय नीलेश जी तरही मिसरे पर मुशाइरे के बाद एक और गजल क साथ उपस्थिति पर आपको बहुत बहुत मुबारक बाद…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"सोलह गाफ की मात्रिक बहर में निबद्ध आपकी प्रस्तुति के कई शेर अच्छे हुए हैं, आदरणीय अजय अजेय जी.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. अजय जी,क़ाफ़िया उन्मत्त तो सुना था उन्मत्ते पहली बार देखा...तत्ते का भी अर्थ मुझे नहीं पता..उतना…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)

लोग हुए उन्मत्ते हैं बिना आग ही तत्ते हैंगड्डी में सब सत्ते हैं बड़े अनोखे पत्ते हैंउतना तो सामान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"क्या अंदाज है ! क्या मिजाज हैं ! आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय नीलेश…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service