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रिजवान को पुलिस ने किसी मामले में पकड़ कर थाने में बिठा दिया। उसने थानेदार से अपनी माँ से फोन पर बात करवाने की प्रार्थना की। 
थानेदार बोला  … माँ का नाम और नंबर दो 
जी  … मंजूषा  . 
क्या !
ये कैसे हो सकता है !! ये तो हिन्दू है और तुम   …. 
जी! आप फोन तो लगाइए माँ को    …रिजवान ने जिद की। 
थानेदार ने फोन लगाया  …. मंजूषा जी ! क्या रिजवान आपका बेटा  है?
जी !सहजता से जवाब मिला। 
मगर हुआ क्या है ? … मंजूषा ने पूछा। 
ये आपका बेटा मार पीट  के आरोप में थाने में लाया गया है। 
मंजूषा तुरंत थाने  पहुंची। 
अरे आप !
मंजूषा को देखते ही थानेदार और शिकायतकर्ता  सहित सब लोग चौंक पड़े। 
उनके सामने प्रसिद्ध समाज सेविका खड़ी थी.
आते ही मंजूषा ने शिकायतकर्ता से बड़े ही प्यार से बात की और रिजवान से माफ़ी भी मंगवा दी। 
मामला बिना किसी कार्यवाही के वहीँ ख़त्म हो गया। तब तक रिजवान  के असली माँ बाप भी वहां आ (जिन्हें अब तक मंजूषा जी ने कुछ भी नहीं बताया था )
ठगे से खड़े थानेदार ने रिजवान से आखिर पूछ ही लिया की माज़रा क्या है 
बात काटते हुए मंजूषा जी बोली  … समाज की सेवा में जुटे लोगो के लिए समाज का हर व्यक्ति उसका सगा होता है ,इस नाते रिजवान  मेरा बेटा  ही हुआ और वैसे भी ये मेरे बेटे बंटू का खास दोस्त है   … 
थानेदार ने एक कड़क सलूट मंजूषा जी को ठोंक दिया। 
अरे!रिजवान आज तो ईद है 
कहाँ है मेरी ईदी ?  …. मंजूषा रिजवान के सर पे हाथ फेरते हुए बोली। 
झर झर बहते आंसुओं के बीच रिजवान बोला  …. अम्मी आपने मेरे लिए जो आज किया है वही तो मेरे लिए सबसे बड़ी ईदी है   …. ईदी तो आपने मुझे दी है आज। …. 
---------------------------------------------------------------------------------------------------------
अविनाश बागडे 
-----------------------------------------------------------------------------------
(मौलिक और अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by AVINASH S BAGDE on August 20, 2013 at 6:33pm

आपकी सलाह सर आँखों पर aman kumar ji

"बड़ों का सर पर हाथ ही सबसे बड़ी ईदी है  अम्मी।" 
Comment by AVINASH S BAGDE on August 20, 2013 at 6:30pm

 आजाद ji..aabhar 

Comment by AVINASH S BAGDE on August 20, 2013 at 6:30pm

अरुन शर्मा 'अनन्त' जी 

शुक्रिया सर जी 

Comment by AVINASH S BAGDE on August 20, 2013 at 6:29pm

 ram shiromani pathak ...bahut bahut aabhar..

Comment by किशन कुमार "आजाद" on August 20, 2013 at 3:55pm
bahut sundar lghu ktha he sukriya
Comment by aman kumar on August 20, 2013 at 3:47pm

कहाँ है मेरी ईदी ?  …. मंजूषा रिजवान के सर पे हाथ फेरते हुए बोली।

शायद एस जगहपर कुछ .........

ईदी छोटे मांगते है बड़े नही ,

पर कहानी अच्छी और दमदार है 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 20, 2013 at 3:42pm

आदरणीय भाई जी बेहद शिक्षाप्रद लघुकथा ह्रदय को स्पर्श कर गई, दिल से ढेरों बधाई स्वीकारें.

Comment by ram shiromani pathak on August 20, 2013 at 1:45pm

सुन्दर लघुकथा //हार्दिक बधाई आपको

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