For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संस्कार (लघुकथा )

संस्कार 
********
महीमा जी पर बहू  को प्रताड़ित करने का मामला न्यायालय में चल रहा था . 
आज एक महत्वपूर्ण गवाही थी . 
श्रीमती उषाकिरण ने अपनी गवाही में बताया -
महीमा जी मेरी बहू  की माँ है और मै अपनी बहू  को बेटी की तरह रखती हूँ . 
इनकी बेटी भी मुझे माँ से कहीं बढ़कर स्नेह देती  है. 
जिस बहू में ऐसे सुंदर संस्कार हो भला उसकी माँ अपनी बहू को कैसे प्रताड़ना का शिकार 
बना सकती है !!!!
बातों में दम था . 
विद्वान न्यायमूर्ति  ने महीमा जी को निर्दोष बरी कर दिया … 
---------------------------------------------------------------------------
अविनाश बागडे 
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 506

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 10:33am

शुभ हो..

आपको बधाई आदरणीय.

Comment by Vindu Babu on August 17, 2013 at 10:52am
आदरणीय बहुत कम शब्दों में बहुत महत्वपूर्ण बात प्रस्तुत की है।
वास्तव में संस्कारों की जड़ें बहुत गहराई तक होती हैं,जैसा कि आपकी कहानी से ही सुस्पष्ट है।
सादर बधाई स्वीकारें इस सफल लघु-कथा के लिए।
Comment by AVINASH S BAGDE on August 16, 2013 at 7:48pm

कोई न्यायमूर्ति आज भी महाराज विक्रमादित्य की तरह न्याय करें..लगभग अविश्वसनीय डॉ.प्राची जी। 

Comment by AVINASH S BAGDE on August 16, 2013 at 7:46pm

सम्बन्धों पर विश्वास की बातों ने एक सकारात्मक उर्जा का संचार किया है-Shubhranshu Pandey ji

संस्कार ही तो है जो समाज का निर्माण करते है .... देश को इनकी जरूरत है- aman kumar ji

aabhari hu..

Comment by AVINASH S BAGDE on August 16, 2013 at 7:44pm

डॉ प्राची जी...( आश्चर्य होता है.) ,वीनस केसरी जी ...(अब अच्छी बातें हैरान करती हैं),

यह एक सत्य घटना पर आधारित लघुकथा है। । सभी पात्र दिल्ली में मौजूद हैं। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 16, 2013 at 5:23pm

बहुत सुन्दर लघुकथा आ० अविनाश बागडे जी..

//जिस बहू में ऐसे सुंदर संस्कार हो भला उसकी माँ अपनी बहू को कैसे प्रताड़ना का शिकार 
बना सकती है//... बात में सचमुच दम है 
कोई न्यायमूर्ति आज भी महाराज विक्रमादित्य की तरह न्याय करें...जान आश्चर्य होता है.
इस सशक्त लघुकथा के लिय हार्दिक बधाई 
Comment by वीनस केसरी on August 15, 2013 at 3:16am

बातों में दम था .......

निश्चित ही ... रिश्तों से उठते विश्वास के दौर में ऐसा होना किसी चमत्कार सरीखा लगता है ... उफ़ ये क्या सोचने को मजबूर हैं हम
अब अच्छी बातें हैरान करती हैं

Comment by Shubhranshu Pandey on August 14, 2013 at 9:20pm

आ. अविनाश जी, एक सशक्त कहानी. जहाँ आज सभी, यहाँ तक कि न्यायालय भी ,माफ़ करियेगा, पारिवारिक सम्बन्धों को व्यापार समझ कर आर्थिक लेन देन की नजरिये से देखता है. वहाँ सम्बन्धों पर विश्वास की बातों ने एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया है. 

सादर

Comment by aman kumar on August 14, 2013 at 12:23pm

मानवीय दर्शन शास्त्र ..........का अदभुत सयोंजन !

जिस बहू में ऐसे सुंदर संस्कार हो भला उसकी माँ अपनी बहू को कैसे प्रताड़ना का शिकार 
बना सकती है !!!!
संस्कार ही तो है जो समाज का निर्माण करते है .... देश को इनकी जरूरत है |
समाज को आइना दिखाने के लिए 
आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Jun 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service